नयी दिल्ली, 7 फरवरी (एजेंसी)
प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने बुधवार को कहा कि भारतीय सशस्त्र बलों ने अंतरिक्ष क्षेत्र से जुड़ी अपनी रक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए 25,000 करोड़ रुपये की धनराशि निर्धारित की है, जिसमें निगरानी उपग्रहों के निर्माण से लेकर सुरक्षित संचार नेटवर्क तक शामिल है। एसआईए-इंडिया द्वारा आयोजित डेफसैट सम्मेलन और एक्सपो को संबोधित करते हुए जनरल चौहान ने कहा कि देश के निजी उद्योगों के लिए इस अवसर का इस्तेमाल करने का यह सही समय है।
सशस्त्र बलों की जरूरतों का उल्लेख करते हुए उन्होंने उद्योग से मल्टी-सेंसर उपग्रहों, लॉन्च-ऑन-डिमांड सेवाओं और भू स्टेशन का एक मजबूत नेटवर्क विकसित कर खुफिया, निगरानी और टोही (आईएसआर) क्षमताओं को बढ़ाने में भागीदार बनने का आग्रह किया। जनरल चौहान ने नाविक (उपग्रह आधारित स्वदेशी दिशा-सूचक प्रणाली) को मजबूत करके स्वदेशी पोजिशनिंग, दिशा-सूचक और टाइमिंग (पीएनटी) सेवाओं को विकसित करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, ‘भारतीय सशस्त्र बल अपनी पीएनटी आवश्यकताओं के लिए विदेशी प्रणालियों पर निर्भर नहीं रह सकते। नेविगेशन, सिंक्रोनाइजेशन के साथ-साथ लंबी दूरी की भागीदारी के लिए पीएनटी सेवाओं को लेकर सुरक्षित, विश्वसनीय और टिकाऊ नाविक प्रणाली के निर्माण की आवश्यकता होगी।’
भारत में ऑस्ट्रेलियाई उच्चायुक्त फिलिप ग्रीन, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज के निदेशक शैलेश नायक और सशस्त्र बलों के वरिष्ठ अधिकारी उद्घाटन समारोह में उपस्थित थे। जनरल चौहान ने कहा, ‘अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी उद्योगों के लिए यह अमृतकाल हो सकता है। मुझे लगता है कि अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए अब एक अत्यधिक सक्षम आत्मनिर्भर रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र बनाने का समय आ गया है।’ उन्होंने कहा कि हाई स्पीड, सुरक्षित, उपग्रह सहायता प्राप्त संचार, विकास का एक अन्य क्षेत्र है। जनरल चौहान ने कहा, ‘विश्वसनीय और टिकाऊ कवरेज प्रदान करने के लिए उपग्रह इंटरनेट की शुरुआत, 5जी पारिस्थितिकी तंत्र को सक्षम करने वाले उपग्रह, स्वचालित उपग्रह और एलईओ उपग्रहों की दिशा में निवेश करने की आवश्यकता है।’