चंडीगढ़, 11 फरवरी (ट्रिन्यू)
हरियाणा भाजपा के पूर्व अध्यक्ष सुभाष बराला को पार्टी ने राज्यसभा में भेजने का निर्णय लिया है। बराला प्रमुख जाट व किसान नेता होने के साथ ही हरियाणा राज्य सार्वजनिक उपक्रम ब्यूरो के चेयरमैन हैं, जिसके अंतर्गत राज्य के सभी बोर्ड एवं निगम संचालित होते हैं। सुभाष बराला को मुख्यमंत्री मनोहर लाल का बेहद करीबी माना जाता है। बराला के राज्यसभा में जाने के लिए उम्मीदवार घोषित होने से एक बार फिर मुख्यमंत्री मनोहर लाल की पार्टी हाईकमान में मजबूत पकड़ साबित हुई है।
सुभाष बराला हरियाणा किसान विकास प्राधिकरण के चेयरमैन भी हैं। वे पिछले काफी समय से राज्य के भूजल स्तर में सुधार व किसानों की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने के लिए फील्ड में कार्य कर रहे हैं। सुभाष बराला को राज्यसभा में भेजने से भाजपा ने जाट व किसान मतदाताओं को अपने पक्ष में लामबंद करने की रणनीति बनाई है। सुभाष बराला के राज्यसभा में से जजपा कोटे से पंचायत एवं विकास मंत्री देवेंद्र बबली के साथ उनका राजनीतिक टकराव कम होगा तथा बबली के भाजपा में आने के रास्ते खुलेंगे।
देवेंद्र बबली फतेहाबाद जिले की उसी टोहाना विधानसभा सीट से जजपा के विधायक हैं, जिससे सुभाष बराला उनसे पहले विधायक बने थे। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष होने के कारण मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने उन्हें तब अपनी कैबिनेट में मंत्री नहीं बनाया था, लेकिन सुभाष बराला उस समय भी सबसे पावरफुल स्थिति में थे। 2019 के चुनाव में जब सुभाष बराला जजपा के देवेंद्र बबली से चुनाव हार गए तो दोनों का टकराव बढ़ने लगा। जजपा कोटे से उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने एक रणनीति के तहत देवेंद्र बबली को मुख्यमंत्री मनोहर लाल की सरकार में पंचायत मंत्री बनवा दिया। इस स्थिति में सुभाष बराला और देवेंद्र बबली का टकराव अधिक बढ़ गया। धीरे-धीरे देवेंद्र बबली की मुख्यमंत्री मनोहर लाल के साथ नजदीकियां बढ़ने लगी।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कई बार देवेंद्र बबली व सुभाष बराला के बीच रिश्ते मधुर करने की कोशिश की। इसमें उन्हें सफलता भी मिली, लेकिन अब सुभाष बराला को राज्यसभा भिजवाकर मनोहर लाल ने एक तीर से कई निशाने साध लिए हैं। पहला तो जाटों व किसानों को खुश कर दिया, दूसरे अपने विरोधी बाकी जाट नेताओं को मन मसोसकर रहने के लिए छोड़ दिया, तीसरे टोहाना में देवेंद्र बबली के सामने सुभाष बराला को चुनाव में उतारने के अपने धर्मसंकट को खत्म कर दिया, चौथे देवेंद्र बबली के भाजपा में आने के रास्ते आसान कर दिए हैं।
बराला के नाम पर इस प्रकार सहमति बनी पार्टी में
हरियाणा से राज्यसभा की एक सीट से आरंभ में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को भेजे जाने के कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन दो दिन दिल्ली में रहकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने ऐसी रणनीति तैयार की कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व हरियाणा से हरियाणा के ही भाजपा नेता को राज्यसभा में भेजे जाने के लिए तैयार हो गया। हाईकमान के पास शनिवार को ही तीन सदस्यों के नामों का पैनल बनाकर भेज दिया गया था, जिसमें सुभाष बराला का नाम सबसे ऊपर था। बताया जाता है कि किसी वैश्य प्रतिनिधि के नाम पर भी काफी देर तक मंथन हुआ, लेकिन देश व प्रदेश की मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों को देखते हुए तथा चुनाव में राजनीतिक फायदा प्राप्त करने की रणनीति के तहत सुभाष बराला के नाम को सबने सर्वसम्मति प्रदान कर दी है। राज्यसभा के लिए नामांकन करने का 16 फरवरी को अंतिम दिन है। विधायकों के संख्या बल के आधार पर सुभाष बराला का राज्यसभा जाना तय है।