ऐसे वक्त में जब पंजाब में किसान आंदोलनकारी सभी फसलों के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी की मांग को लेकर आंदोलनरत हैं, हिमाचल सरकार ने राज्य के दुग्ध उत्पादकों को बिना मांगे एमएसपी की सुविधा प्रदान कर दी है। निस्संदेह, राज्य सरकार की यह अनुकरणीय पहल है और देश के विभिन्न राज्यों को इस पहल का संज्ञान लेना चाहिए। निस्संदेह, दूध को एमएसपी के दायरे में लाने वाला हिमाचल देश का पहला राज्य है। दरअसल, देश-प्रदेश में दुग्ध उत्पादकों का कोई संगठित समूह न होने के कारण उनकी मांगों व जरूरतों को गंभीरता से नहीं लिया गया है। उल्लेखनीय है कि शनिवार को हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने राज्य के वित्त वर्ष 2024-25 का बजट पेश करते समय यह घोषणा की। वित्त मंत्री का दायित्व निभाते हुए सुक्खू ने घोषणा की कि राज्य में गाय के दूध के दाम में सात रुपये की वृद्धि करके उसका न्यूनतम दाम 45 रुपये प्रति लीटर किया गया है। वहीं भैंस के दूध के दाम में 17 रुपये की वृद्धि करके न्यूनतम दाम 55 रुपये प्रति लीटर तय किया गया है। निश्चित रूप से राज्य सरकार के इस कदम से दुग्ध उत्पादकों को संबल मिलेगा और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। इसके अलावा सुक्खू सरकार ने घोषणा की कि राज्य में दुग्ध सहकारी समितियों की देनदारियों को भी माफ कर दिया जाएगा। यह कदम सहकारी आंदोलन से जुड़े दुग्ध उत्पादकों के लिये यह राहतकारी कदम होगा।
वहीं दूसरी ओर राज्य सरकार ने घोषणा की कि दुग्ध खरीद तथा प्रसंस्करण ढांचे को मजबूत करने के लिये डेढ़ सौ करोड़ रुपये खर्च किये जाएंगे। इसके साथ ही राज्य सरकार ने पशुपालन करने वाले किसानों को संबल देने के लिये प्राकृतिक खेती योजना की भी घोषणा की। जिसके तहत 36 हजार किसानों को इस तरह की खेती से जोड़ने की बात कही। यह प्रयास डेयरी उद्योग से जुड़े किसानों को अतिरिक्त आय का जरिया उपलब्ध करायेगा। केंद्र सरकार द्वारा पिछले वर्ष की गई घोषणा के अनुसार भारत दुनिया में सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक बन गया है। ऐसे में सवाल उठता रहा है कि आखिर इतने बड़े उत्पादन के बावजूद दुग्ध उत्पादकों की आर्थिक स्थिति में सुधार क्यों नहीं हो रहा है। केंद्रीय डेयरी मंत्री द्वारा संसद में दिये गए बयान के अनुसार 2021-22 में वैश्विक दुग्ध उत्पादन में 24 फीसदी का योगदान देने वाला भारत दुनिया का सबसे बड़े दुग्ध उत्पादक बन गया है। डेयरी मंत्री का दावा था कि पशुपालन और डेयरी विभाग डेयरी क्षेत्र में आर्थिक रूप से कमजोर किसानों को लाभ देने के लिये कई योजनाएं चला रहा है। जिसमें दूध की गुणवत्ता को बढ़ावा देना, संगठित खरीद, प्रसंस्करण, मूल्यवर्धन और विपणन में उत्पादकों की हिस्सेदारी बढ़ाना है। उल्लेखनीय है कि 2021 में एनपीडीडी का पुनर्गठन गहन डेयरी विकास कार्यक्रम, गुणवत्ता और स्वच्छ दूध उत्पादन के लिये बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के उद्देश्य से किया गया था। जिसमें सहकारी समितियों की भी सक्रिय भागीदारी होगी।