चंडीगढ़, 23 फरवरी (ट्रिन्यू)
हरियाणा में विभिन्न संस्थाओं द्वारा दिव्यांग बच्चों के लिए चलाए जा रहे स्कूल (शैक्षणिक संस्थान) अब सरकार के नियंत्रण में होंगे। पिछले बजट में मुख्यमंत्री ने इसकी घोषणा की थी। इसके बाद से अभी तक 7 स्कूलों का संचालन सरकार अपने हाथों में ले चुकी है। बाकी के स्कूलों को भी जल्द ही टेकओवर किया जाएगा। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने शुक्रवार को बजट पेश करते हुए कहा कि हरियाणा में दिव्यांग व्यक्तियों के लिए एक आजीवन देखभाल गृह का भी निर्माण करवाया जा रहा है। प्रदेश में बड़ी संख्या में ऐसे वरिष्ठ नागरिक हैं, जो कर्मचारी भविष्य निधि का लाभ ले रहे हैं। उन्हें सरकार की वृद्धावस्था पेंशन का लाभ नहीं मिलता। सरकार के सामने ऐसे कई मामले आएं, जिनकी ईपीएफ पेंशन तीन हजार रुपये से कम है। ऐसे में सरकर ने पेंशन योजना में संशोधन करने का निर्णय लिया है। इसके तहत वृद्धावस्था पेंशन और ईपीएफ पेंशन के बीच के अंतर को पूरा करके ऐसे नागरिकों को भी तीन हजार रुपये मासिक पेंशन सुनिश्चित की जाएगी।
1000 से 3000 की पेंशन
वृद्धावस्था, विधवा, बेसहारा महिला व दिव्यांग आदि की पेंशन के अपने वादे को पूरा करने के लिए पीठ थपथपाते हुए सीएम ने कहा कि 2014 में यह पेंशन 1000 रुपये मासिक थी। मौजूदा सरकार ने इसे बढ़ाकर तीन हजार रुपये कर दिया है। 2013-14 में पेंशन योजनाओं पर सालाना 1753 करोड़ रुपये खर्च किए जाते थे। वहीं 2024-25 में यह बढ़कर 10 हजार 971 करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है।
दयालु योजना में दिए 310 करोड़
गरीब परिवारों के 6 वर्ष से 60 वर्ष तक की आयु के सदस्य की मृत्यु होने पर पिछले साल वित्तीय सहायता की शुरुआत की गई। ‘दयालु’ नामक इस योजना में मुआवजे के लिए अलग-अलग स्लैब बनाए हैं। इनमें एक लाख से पांच लाख रुपये तक की वित्तीय मदद सरकार करती है। अभी तक इस योजना के तहत 8 हजार 87 परिवारों को 310 करोड़ रुपये की सहायता की जा चुकी है।