ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
चंडीगढ़, 23 फरवरी
जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी यानी पब्लिक हेल्थ विभाग के लिए 4 हजार 787 करोड़ रुपये से अधिक का बजट तय किया है। 2024-25 के दौरान प्रदेश के विभिन्न शहरों में 100 किलोमीटर नई सीवर लाइनें बिछाई जाएंगी। ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 55 लीटर और शहरी व अर्ध-शहरी क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 135 लीटर पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित करने के कार्य किए जा रहे हैं।
महाग्राम योजना के तहत 12 गांवों में सीवरेज सुविधाएं प्रदान करने का काम पूरा हो चुका है। 31 मार्च, 2024 तक 10 गांवों में सीवरेज सुविधाएं चालू होने की संभावना है। बाकी के 10 हजार की आबादी से अधिक वाले 119 गांवों में भी 2027 तक चरणबद्ध तरीके से सीवरेज सुविधाएं मुहैया करवाई जाएंगी। अमृत 2.0 के तहत सितंबर-2023 में 48 पेयजल आपूर्ति और 9 सीवरेज परियोजनाओं को प्रशासनिक मंजूरी दी है। इन 57 परियोजनाओं में से 22 परियोजनाओं का कार्य आवंटित किया जा चुका है। इनमें 18 जलापूर्ति योजनाएं शामिल हैं। 15 परियोजनाओं के लिए टेंडर जारी किए जा चुके हैं। अमृत 2.0 के तहत भारत सरकार की घोषणा अनुसार, ऊर्जा दक्ष मोटर-पंपों की स्थापना के लिए राज्य सरकारों को प्रोत्साहन प्रदान किया जाएगा। सरकार ने ऊर्जा दक्षता के लिए अमृत 2.0 के तहत सभी नई परियोजनाओं के लिए ऊर्जा दक्ष मोटर-पंप स्थापित करने और केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित प्रोत्साहन आधारित सुधारों को अपनाने का प्रस्ताव किया है। शहरी क्षेत्रों में ट्यूबवेल, वाटर वर्क्स और सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में स्थापित सभी पंपों को 3 स्टार रेटिंग ऊर्जा दक्ष पंपों से बदला जाएगा।
सरकार ने बिजली संयंत्रों, उद्योगों, सिंचाई और नगर पालिकाओं द्वारा गैर-पीने योग्य पानी, उपचारित अपशिष्ट जल का पुन: उपयोग करने की नीति बनाई है। अब तक 199.24 मिलियन लीटर प्रतिदिन (एमएलडी) उपचारित अपशिष्ट जल का उपयोग गैर-पीने योग्य पानी के उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है। दिसंबर-2025 तक 900 मिलियन लीटर प्रतिदिन (एमएलडी) से अधिक उपचारित अपशिष्ट जल का पुन: उपयोग किया जाएगा। दिसंबर-2028 तक सभी सीवरेज के मल जल का उपचार किया जाएगा। उस पानी का उपयोग अन्य उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाएगा।