ऐसे वक्त में जब आम चुनाव सिर पर हैं और उसके कुछ माह बाद हरियाणा में विधानसभा चुनाव अपेक्षित हैं, हरियाणा का बजट लोकलुभावना होना स्वाभाविक ही था। अपने दूसरे कार्यकाल के इस अंतिम बजट में मुख्यमंत्री के साथ वित्त मंत्रालय का भी दायित्व निभाने वाले मनोहर लाल ने हर वर्ग को राहत देने का प्रयास ही किया है। नये कर नहीं लगाए गए और राहत की घोषणाओं का पिटारा खोला गया। जिन वर्गों को प्राथमिकता के रूप में देखा गया, उन्हें खास राहत देने की कोशिश हुई। फसली ऋण पर ब्याज-जुर्माना माफ करने की घोषणा की गई। राज्य के हर नागरिक को स्वास्थ्य कवच के रूप में बीमा देने का वादा किया गया। शहीदों के परिजनों को एक करोड़ की मदद देना उनके बलिदान को सम्मान देने का सार्थक प्रयास है। निस्संदेह, बजट में उन वर्गों को तरजीह दी गई है जो डबल इंजन सरकारों की प्राथमिकता रहे हैं। समाज में जिन चार जातियों को नरेंद्र मोदी अपनी प्राथमिकता बताते हैं यानी किसान, युवा, महिला और वंचित समाज, वे ही राज्य सरकार के बजट में अहम रहे हैं। निस्संदेह, किसी भी लाभकारी योजना या घोषणा के साथ कई तरह के किंतु-परंतु भी होते हैं और उनके क्रियान्वयन से जुड़ी कई तरह की व्यावहारिक दिक्कतें भी होती हैं, लेकिन इसके बावजूद सरकार अपने लक्ष्यों को लेकर प्रतिबद्धता जता रही है। जिसके लिये राज्य सरकार ने विकास योजनाओं का एक खाका भी खींचा है। उसके माइक्रो लेवल पर प्रबंधन की कोशिश भी हुई है।
निस्संदेह, आम चुनाव के खुमार की तरफ बढ़ते देश में केंद्र व राज्य सरकारों का बजटीय मकसद लक्षित जनसमूहों को प्रभावित करना ही होता है। हालांकि, आम मतदाता के मन में बजट को लेकर यही प्रश्न होता है कि उसकी जेब किस हद तक प्रभावित होगी। यही वजह है कि सरकारें ऐसे मौके पर नये करों से परहेज करके उजली अर्थव्यवस्था के लक्ष्यों की तसवीर उकेरने का प्रयास करती हैं। विभिन्न वर्गों को राहत देने की घोषणा इसी मकसद से बजट में की गई है ताकि चुनावी वैतरणी पार करने में यह मददगार साबित हो। बजट में बेरोजगारी की समस्या को संबोधित करते हुए कौशल विकास को राज्य सरकार ने प्राथमिकता बताया है। जिसके लिये स्टार्टअप फंड सार्थक परिणाम दे सकता है। बेहतर होता कि सरकार राज्य में उद्योग व स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिये अतिरिक्त प्रयास करती। वहीं दूसरी ओर सरकार द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं को प्राथमिकता भी बजट में दी गई है, जिसके लिये होलिस्टिक हेल्थ को भी महत्व दिया गया है। स्वास्थ्य सेवाओं में आयुर्वेद व योग को भी तरजीह दी गई है। जिसमें केंद्र की आयुष्मान भारत के साथ राज्य की महत्वाकांक्षी चिरायु योजना को भी महत्व दिया गया है। निस्संदेह, ये योजना कमजोर वर्गों के लिये राहतकारी है,क्योंकि वे कम अंशदान से अधिक लाभ गंभीर रोगों के उपचार में उठा सकते हैं। बहरहाल, किसी भी राज्य सरकार को प्रदेश में स्थायी विकास को अपनी प्राथमिकता बनाना चाहिए, जिसके चलते राज्य में स्थायी समृद्धि का मार्ग सुनिश्चित हो।