जगाधरी, 26 फरवरी (निस)
अंसल टाउन जगाधरी में चल रही श्रीमद् भागवत कथा श्रद्धालुओं को कथा का अमृत पान करवाते हुए बरसाने से आए रामजीदास महाराज ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण के साथ हमेशा देवी राधा का नाम आता है। भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी लीलाओं में यह भी दिखाया था कि राधा और श्रीकृष्ण दो नहीं बल्कि एक हैं, लेकिन देवी राधा के साथ श्रीकृष्ण का लौकिक विवाह नहीं हो पाया।
उन्होंने बताया कि देवी राधा के बाद भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय देवी रुकमणि हुईं। देवी रुकमणि और श्रीकृष्ण के बीच प्रेम कैसे हुआ इसकी बड़ी अनोखी कहानी और इसी कहानी से प्रेम की एक नई परंपरा की शुरुआत भी हुई। रामजी दास ने बताया कि देवी रुकमणि विदर्भ के राजा भीष्मक की पुत्री थी। रुकमणि जी का पूरा बचपन श्रीकृष्ण की साहस और वीरता की कहानियां सुनते हुए बीता था। एक बार एक पुरोहित जी द्वारिका से भ्रमण करते हुए विदर्भ आए। विदर्भ में उन्होंने श्रीकृष्ण के रूप गुण और व्यवहार के अद्भुत वर्णन किया। पुरोहित जी अपने साथ श्रीकृष्ण की एक तस्वीर भी लाए थे। देवी रुक्मिणी ने जब तस्वीर को देखा तो वह भावविभोर हो गईं और मन ही मन श्रीकृष्ण को अपना पति मान लिया। रामजी दास ने यह पूरा प्रसंग सुनाया।