शमीम शर्मा
प्रेम के अक्षर चाहे ढाई ही हैं पर हर प्रेमी इन्हें अलग अंदाज में लिखता आया है। कभी प्रेम पत्रों में शब्द नहीं दिल परोसे जाते थे। अक्षर-अक्षर से प्यार की बूंदों के टपकने का अहसास हुआ करता। लिफाफे में लिपटे लव लेटर न जाने कहां खो गये हैं जिनकी शब्दावली अमरबेल की तरह दिल से लिपट कर सिहरन उत्पन्न किया करती। प्रेम पत्रों में नाराज़गियों की बेल और गुस्से का लावा अपनी अलग ही जगह रखता था। प्रेम चाहे सिर्फ एक भाव है पर हर प्रेमी मन में अलग ढंग से उमड़ता-घुमड़ता और उथल-पुथल मचाता है। जिन्हें लिखना नहीं आता था वे भी अपने विश्वास पात्र से प्रेम की चिट्ठियां लिखवाया करते। और इन खतों का एक-एक शब्द 100 वॉट के लट्टू की तरह जगमगाता-सा लगता।
हर बार नये से नये संबोधन जैसे प्राण सुन्दरी, मनमोहिनी, जानेमन, जान, जानू, मानू, बेबी सोना… और भी अनंत। ये मोहब्बत भरी चिट्ठियां दिल की स्याही और गहराई से लिखी जाती। दरअसल लव लेटर प्रेम के मधुर अहसास का गीत है और प्यार के बिछोह की पीड़ा का भी। प्रेम पत्रों में बुलावा, आंसू, गुहार, पुकार, इंतजार, नाराजगी, पीड़ा, पूजा आदि भाव एक साथ मिला करते थे। प्रेम पगी चिट्ठियां दो लोगों की ताकत थी, तो कमजोरी भी। इन्हें संभाल कर रखना एक पूरा प्रोजेक्ट हुआ करता।
मोबाइल ने प्रेम पत्र लेखन पर विराम लगा दिया है। अब चैटिंग होती है या लंबी-लंबी बातें। चैटिंग चटर-पटर से कब खटर-पटर बन जाये या बातों का बतंगड़ बनते देर नहीं लगती। प्रेम पत्रों के माध्यम से होने वाले संवाद पर विराम लग चुका है। जबकि प्रेम पत्र से व्यक्ति की वैचारिक मनोभूमि, पारिवारिक हालात और सामाजिक सरोकारों का आभास होता है।
ये खत दर्शाते थे कि प्रेमी मन उपमाओं से लदे हैं। उनमें चांद, तारे, रोशनी, जुगनू, हवा, महक, शायरी अनिवार्य रूप से मिलने की संभावना रहती थी। कभी-कभी इन खतों में फूल भी रखे रहते थे। प्रेम पत्र प्रेमपूर्ण मन की अनंत गाथा होते हैं। उनमें कहानी और कविता एक साथ बसती हैं। ये चिट्ठियां आत्मिक सुख और जिजीविषा को जन्म देने का माद्दा रखती थीं।
एक मनचला ब्लड बैंक जाकर एक यूनिट ब्लड खरीदने लगा तो नर्स ने ब्लड ग्रुप पूछा। जवाब था कि कोई-सा भी दे दो मुझे तो खून से लव लैटर लिखना है।
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एक बर की बात है अक नत्थू एक कागज ताहिं बार-बार सीने कै लगाकै खुशी के मारे उछलै था तो सुरजा बोल्या- रै यो के सांग है? नत्थू बोल्या-यो लव लैटर है। सुरजा कागज ताहिं देख कै बोल्या- यो तो कती कोरा है। नत्थू बोल्या- बात या है अक आजकाल म्हारी बोलचाल बन्द है।