यह न समझना कि मैं उससे दूर हूं। उसकी आंखें जरा-सी भी गीली होंगी तो मेरे घर बरसात हो जाएगी और मैं वहां पहुंच जाऊंगा, उसे बारिश के थपेडों से बचाने के लिए। उसे ठोकर लगेगी, मेरी दीवारें हिल जाएंगी और मैं उसे सहारा देने आ जाऊंगा। मैंने जो तुम्हें सौंपा है वह मेरा जीवन है, धड़कनें हैं, सांसें हैं। उसकी जीवंतता के लिए मैं वह सब करूंगा जो तुम मुझे करने को बाध्य करोगे। फिर चाहे उसे तुमसे छीनना हो, या फिर तुम्हें सजा देनी हो।
हंसा दीप
प्रिय लियम, यह मेरी ओर से तुम्हारे लिए एक ऐसा उपहार है जिसकी जरूरत तुम्हें पग-पग पर पड़ेगी। इसमें मैंने जो कुछ कहा है, वह पर्याप्त नहीं, लेकिन फिर भी, इसके बाद मैं कुछ नहीं कहूंगा, कसम से।
आज तुम मेरी लाड़ली बेटी से शादी करके उसे अपने घर ले जाने वाले हो। मैं हूं ‘फादर ऑफ दि ब्राइड।’ मैंने यह फिल्म देखी थी, बार-बार देखी थी। बिटिया ने शादी के तुरंत पहले फिर से देखने के लिए कहा था ताकि मैं ऐसी कोई हरकत न करूं, जिससे समारोह में मुश्किलें आएं और उसे शर्मिंदा होना पड़े। उसके मंगेतर को खिसियाना पड़े। इसीलिए मैं यह खत लिख रहा हूं ताकि इन शब्दों के भीतर छुपी मेरी भावनाओं को तुम अपने भीतर समा लेने की कोशिश कर सको। यह एक खास खत है जिसमें मेरी बेटी का परिचय है। बिटिया के स्नेह को अपने भीतर समेटे हुए, तुमसे उसका अच्छी तरह परिचय कराने की यह मेरी एक कोशिश भर है।
यकीन मानो, मैं अपने पूरे होशोहवास के साथ अपनी लाड़ली बिटिया की खुशी में शामिल हूं। तुमसे ईर्ष्या है। हमेशा रहेगी। तुम जैसे भी हो, मेरी बिटिया की पसंद हो। यही कारण है कि उसकी खुशी के लिए शादी के सारे बंदोबस्त मैंने बहुत श्रम से किए। इसके बावजूद मुझे संतुष्टि नहीं हो रही थी। उसकी विदाई मैं ऐसे कैसे कर दूं! तुम्हें अपने दिल का टुकड़ा सौंपते हुए मेरा फर्ज बनता है कि किसी अनजान के साथ उसे भेजने से पहले उसे बता दूं कि वह मेरे लिए क्या है!
यह खत तब लिखना शुरू किया था जब उसने तुम्हारे साथ शादी का फैसला लिया था। मुझसे दूर जाने के लिए यह उसका पहला कदम था। सच कहूं, उस पल तुम मुझे ऐसे खूंखार दुश्मन लगे थे जो सीमा पार से मेरे समूचे सैन्य बल को अपने कब्जे में ले-लेना चाहता हो। मैंने तुम्हारे अवगुण गिनाते हुए कई तोपों की बमबारी की थी, लेकिन बिटिया ने अपने तर्कों से उनका तोड़ ढूंढ़कर मुझे खामोश कर दिया था। मुझे हथियार डालने पड़े।
तुम्हारे लिए उसका दीवानापन बढ़ता रहा और मैं मूक होकर देखता रहा। घर के दीपक की रोशनी किसी और घर को अपना ठिकाना बना ले, यह असहनीय दु:ख होता है। दीपक तले अंधेरे को मेरा मन स्वीकार करने से मना करता रहा। आज बात यहां तक आ गई कि वह तुम्हारे साथ जाने के लिए सज-संवर कर तैयार हो रही थी। दुल्हन के रूप में उसे सजाकर मेकअप करने वालों की एक पूरी टीम उसे इस दुनिया की सुंदरतम लड़की बनाने के लिए तैयार थी। जब तुमने अपनी निगाहों से उसकी सुंदरता को सराहा था, तब मैं उसकी निगाहों से दूर इस पत्र को पूरा कर रहा था। उसे दुल्हन के रूप में पहली बार सराहने का हक आज चाहे तुमने मुझसे छीन लिया, पर मैं तुम्हें यह बता दूं कि मैंने हर रोज उसे विश्व की सुंदरतम बेटी का खिताब दिया था। हर रोज स्कूल के लिए तैयार करते वक्त उसे ठीक से देखता था कि कहीं कोई कमी तो नहीं रह गयी। मेरी बिटिया मेरी सबसे अनुपम कृति है। उसकी प्रशंसा के लिए एक निगाह काफी नहीं है। अगर तुम्हें याद हो तो उन पलों में उसकी निगाहें मुझे ढूंढ़ रही थीं।
अगर आज तुम्हें मुझमें कोई अच्छाई दिखती है तो वह मेरी बेटी की वजह से है। सारी बुराइयां इसलिए कि तब मैंने अपनी बेटी की बात नहीं मानी। तुम भी इस सत्य को जितनी जल्दी स्वीकार कर लो उतना अच्छा है। वह कुदरत का करिश्मा है। ईश्वर ने उसे बहुत फुरसत में अपने हाथों से बनाया है। मुझे इस सुंदरतम कृति को उत्कृष्ट व्यक्तित्व में ढालकर तुम्हें सौंपना पड़ रहा है। स्वयं को भाग्यशाली समझना कि तुम्हें उसने इस काबिल पाया कि शादी की वेदी तक बुला लिया।
तुम इस समय उसके बालों की लट हटाकर पहला कौर खिला रहे हो। उसके बालों को सहलाते हुए यह मत सोचना कि ऐसा करके तुमने उसे सारा प्यार दे दिया। मैंने यह हजारों बार किया था। लंबे बाल रखने की उसकी जि़द थी। उसकी चोटी मुझसे नहीं बन पाती थी। उसे अच्छा नहीं लगता। कहती- ‘पापा, आपको चोटी बनाना नहीं आता।’
‘हां बेटा, सीख लूंगा।’ मेरे लिए यह चुनौती बड़ी भारी थी। मैंने नकली बालों को खरीदा और यूट्यूब देख-देख कर उसकी चोटी बनाना सीखा। अब यह काम मेरे लिए चुटकी बजाने जैसा है और बिटिया के चेहरे की संतुष्टि जनम-जनम का सुख। तुम्हें इसलिए बता रहा हूं कि तुम कभी मेरी बराबरी नहीं कर पाओगे, कुछ भी कर लो।
तुमने गौर नहीं किया, जो कौर अभी-अभी तुमने उसे खिलाया उसमें राजमा था जो उसे बिलकुल पसंद नहीं। अगर तुमने उसे थोड़ा भी जाना होता तो इस खास दिन उसे वह कौर नहीं देते। मैंने पहला अन्न का दाना उसे दिया था। उसकी मां उसके जन्मते ही मेरी गोद में डाल कर चली गई थी। मैं उसकी हर सांस का साक्षी रहा। मैंने नहीं, उसने मुझे जीना सिखाया।
तुमने अपने दोस्तों के कहने पर उसे चुंबन जड़ दिया। मुझे अच्छा नहीं लगा। यह भावना तुम्हारे भीतर से नहीं आई थी, दबाव में आई थी। उसकी ड्रेस का नीचे फैला भाग अपने हाथों से पकड़ने की तुम्हारी कोशिश भी बेकार थी। क्योंकि वह इतनी समर्थ है कि ऐसे कामों के लिए उसे किसी की मदद लेना स्वीकार्य नहीं। जब तुम उसके गले में माला डाल रहे थे तो बहुत खुश थे, तुम्हें यह पता नहीं कि उसे उन फूलों से एलर्जी है। मैंने ऐन वक्त पर माला से उन फूलों को निकलवा दिया था। आज तो तुम बच गए पर हर बार मैं वहां नहीं रहूंगा तुम्हें बचाने के लिए। वह बहुत छोटी थी तब से अपने काम, उसकी अपनी मौलिक शैली में करती रही है। उसे यही पसंद है, उसका अपना खास अंदाज़। एक चिड़िया की तरह चहकती थी घर में। चीं-चीं, चीं-चीं। ‘पापा ये, पापा वो।’ तुम बस इस बात का ध्यान रखना कि उसकी वह चहचहाहट कभी कम न हो।
जब वह कोई बात समझ न पाती, मैं कहता था- ‘गोबर भरा है तुम्हारे दिमाग में।’ वह तत्काल मेरे माथे पर अपनी उंगली रखकर कहती- ‘यहां से आया है।’ मैं खिलखिला उठता। गद्गद हो जाता। उसकी तत्पर बुद्धि से हैरान होता मैं। कितनी तेजी से वह मुझे अपनी खुद की बातों में फंसा लेती है। लियम, मेरे द्वारा भरे गए उस गोबर को खाद-पानी देते रहना।
उन दिनों मैं तंबाकू खाता था। वह कहती- ‘पापा, आपके मुंह से सूंघी आती है।’ सूंघना शब्द से सूंघी की रचना करना अद्भुत था। नए शब्दों की रचना वह कितनी सहजता से कर लेती है! पता नहीं, तुम उसकी प्रतिभा को पहचान पाओगे या नहीं। क्योंकि इस पहचान के लिए कलाकार की नजर चाहिए, जो तुम्हारे पास नहीं है। तुम ठहरे औजारों के बीच काम करने वाले इंजीनियर। उसकी कलात्मकता को पहचानना तुम्हें सीखना होगा।
नींद से उठते ही वह तड़ातड़ कई सवाल जड़ देती थी। मैं कहता- ‘बेटा पापा की गाड़ी को मोशन में तो आने दे, अभी उठा हूं।’ वह तुरंत कहती- ‘बहुत पुराना, साठ का मॉडल है, मोशन में आने में देर लगेगी।’ मैं अपना ठहाका रोक नहीं पाता। कुछ इस तरह हंसता कि घर की दीवारें उन मासूम शब्दों से खिलखिला उठतीं। मेरी बेटी मेरे घर का खिलता हुआ फूल है। शादी के बाद अब उसकी जमीन जरूर बदल रही है, पर तासीर नहीं। ध्यान रखना, उसका सौंदर्य मुरझाने न पाए और घर-आंगन उसकी महक से महकता रहे। नाजुक पंखुड़ियों को जरा-सी चोट सहन नहीं होती, मेरी बेटी तो उनसे भी सुकोमल है।
एक बात और बता दूं, वह मेरे कपड़ों का चयन स्वयं करती थी। चाहती थी कि उसके पापा दुनिया के सबसे अच्छे पापा लगें। इसके लिए कई बार पहने हुए कपड़े भी बदलवाती थी। तुम कभी इस दौर से गुजरो तो चिढ़ना मत। बदलने के आलस से मुक्त होकर पहन लेना। तुम खुद समझ जाओगे कि इसमें कितना आनंद है। यकीन मानो, स्वयं को आईने में देखोगे तो पता चल जाएगा कि उसकी दृष्टि कितनी सुनियोजित है!
वह खाने में कुछ भी बनाए, पहले कौर में तुमसे प्रतिक्रिया चाहेगी। चाहे नमक कम-ज्यादा हो, पहले तारीफ जरूर करना वरना उसका दिल टूट जाएगा। मैंने उसके दिल को कभी खरोंच तक नहीं पहुंचाई। खाने से याद आया, खाना खाते समय बात बिल्कुल मत करना। ध्यान रखना कभी तुम्हारे मुंह से कुछ टपक न जाए। उसे अव्यवस्थित ढंग से खाने वाले बिल्कुल पसंद नहीं।
मेरी बेटी कुदरत की एक कुशल कारीगरी है। तुम उसकी वैसी ही देखभाल करना, जैसी एक बेशकीमती सर्जना की करनी चाहिए। मैं तुम्हें हर बात, हर पग पर समझा नहीं पाऊंगा, इसीलिए कुछ खास बातें लिखकर दे रहा हूं। आगे चलकर ये तुम्हारे लिए खुशियों की अनमोल सौगात साबित होंगी।
यह न समझना कि मैं उससे दूर हूं। उसकी आंखें जरा-सी भी गीली होंगी तो मेरे घर बरसात हो जाएगी और मैं वहां पहुंच जाऊंगा, उसे बारिश के थपेड़ों से बचाने के लिए। उसे ठोकर लगेगी, मेरी दीवारें हिल जाएंगी और मैं उसे सहारा देने आ जाऊंगा। मैंने जो तुम्हें सौंपा है वह मेरा जीवन है, धड़कनें हैं, सांसें हैं। उसकी जीवंतता के लिए मैं वह सब करूंगा जो तुम मुझे करने को बाध्य करोगे। फिर चाहे उसे तुमसे छीनना हो, या फिर तुम्हें सज़ा देनी हो।
यह कोई धमकी नहीं, न ही कोई चेतावनी है। यह तो एक पिता का आग्रह है। तुम्हें दुराग्रह लगे तो भी यह स्वीकार कर लो। उस आदमी को बताना मेरा फर्ज है जो उसके जीवन में दूसरा बन कर आया है, मेरे बाद। इस जिम्मेदारी को निभाने की कोशिश करना। मेरी यही अपेक्षा है। उम्मीद है कि यह बात हम दोनों के बीच रहेगी। इस बारे में न तो मेरी बिटिया जानती है, न तुम उससे कहोगे। उसने ऐसा न जाने क्या देखा तुममें, जो मैं तुममें नहीं देख पा रहा। इसीलिए तो कहता हूं उसकी दूरदृष्टि बहुत अच्छी है। खैर, अब चलता हूं। मेरी बेटी के परिचय के लिए इतना काफी नहीं, मैं तुम्हें हजारों पेज लिखकर दे सकता हूं, लेकिन लिखूंगा नहीं। इस बात को जानते हुए कि अगर मेरी बिटिया ने तुम्हें अपने काबिल समझ लिया है, तो मेरे गिने-चुने शब्दों की गहनता भी तुम समझ सकोगे।
तुम पर कतई विश्वास न होने के बावजूद, मैं जानता हूं कि जीवन भर उसे जिसका साथ चाहिए, वह तुम हो, मैं नहीं। मैंने उसकी उंगली पकड़कर चलना सिखाया, तुम उसका हाथ पकड़कर जीवन भर उसके साथ चलना। और हां, अगर किसी भी पल, तुम्हें जरा भी लगे कि तुम्हारी चाहत उसके लिए रत्ती भर भी कम हो रही है, प्लीज़ उसे मत बताना, वह टूट जाएगी। तत्काल मुझे बता देना। मैं उसे वापस लेने आ जाऊंगा, कसम से।