हैदराबाद, 31 मार्च (एजेंसी)
पंजाब के राज्यपाल से जुड़े मामले का जिक्र करते हुए सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बीवी नागरत्ना ने राज्यपालों द्वारा विधेयकों को अनिश्चितकाल के लिए ठंडे बस्ते में डाले जाने की घटनाओं के प्रति आगाह किया है। वे शनिवार को यहां राष्ट्रीय कानूनी अध्ययन एवं अनुसंधान अकादमी विधि विश्वविद्यालय में आयोजित ‘न्यायालय एवं संविधान सम्मेलन’ के पांचवें संस्करण के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रही थीं।
उन्होंने महाराष्ट्र विधानसभा के उस मामले को राज्यपाल द्वारा अपने अधिकारों से परे जाने का एक और उदाहरण बताया, जब सदन में शक्ति परीक्षण की घोषणा करने के लिए राज्यपाल के पास पर्याप्त सामग्री का अभाव था। जस्टिस नागरत्ना ने कहा, ‘किसी राज्यपाल के कार्यों या चूक को अदालतों के समक्ष विचार के लिए लाना संविधान के तहत एक स्वस्थ प्रवृत्ति नहीं है। राज्यपालों को संविधान के अनुसार अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना चाहिए ताकि इस प्रकार की मुकदमेबाजी कम हो सके।’ उन्होंने कहा कि राज्यपालों को किसी काम को करने या न करने के लिए कहा जाना काफी ‘शर्मनाक’ है।
‘पैसे को सफेद धन में बदलने का तरीका थी नोटबंदी’
जस्टिस नागरत्ना ने नोटबंदी मामले पर अपनी असहमति को लेकर भी बात की। उन्होंने कहा, ‘मेरे हिसाब से यह नोटबंदी पैसे को सफेद धन में बदलने का एक तरीका थी, क्योंकि सबसे पहले 86 प्रतिशत मुद्रा को चलन से बाहर किया और फिर 98 प्रतिशत मुद्रा वापस आ गई और सफेद धन बन गई।… आम आदमी की परेशानी ने मुझे वास्तव में परेशान कर दिया, इसलिए मुझे असहमति जतानी पड़ी।’