मृदुल कश्यप
जब मैंने डॉक्टर से अपनी धर्मपत्नी के रोग निदान हेतु अप्वाइंटमेंट लेने के लिए फोन किया तो बाजार मुझे फोन पर मिला। वह किसी अच्छे बन्दर छाप मंजन से दांत मांजने के लिए गाइड कर रहा था।
जब हमने क्लीनिक के अन्दर प्रवेश किया तो बाजार टाई-कोट पहने टेबल कुर्सी पर पसरा था। वह बोला कि आप सुबह की पहली यूरिन का सैम्पल ले आए।
मैंने चिंतित होकर पूछा, ‘नहीं। क्या इसकी आवश्यकता थी?’
मेरे माथे पर पसीना देख कर बोला, ‘डोंट वरी। डॉक्टर साहब अवश्य लिखेंगे।’
पर हमने तो अभी अपनी बीमारी बतलाई भी नहीं है।
उससे कोई खास फर्क नहीं पड़ता। उसने कंधे उचका कर कहा।
फिर उसने हमें प्लास्टिक के छोटे डिब्बे पकड़ा कर बोला, ‘इन पर दोनों का नाम लिख दीजिए और वॉशरूम से फटाफट यूरिन सैम्पल ले आइये। ब्लड का सैम्पल यहीं ले लेंगे।’
मुझे सिर्फ मेरी पत्नी को दिखाना है।
आपका फायदा है। अभी सत्तर प्रतिशत डिस्काउंट चल रहा है।
हम वॉशरूम भागे।
सैम्पल की प्रक्रिया पूरी होने के बाद हमने क्लीनिक में प्रवेश किया। वहां भी बाजार था। वह वहां दीवार पर नए वैक्सीन के बारे में बतला रहा था। वह अनेक प्रकार की बीमारियों के लक्षण बतला रहा था। पोस्टर पढ़ते-पढ़ते उसके अनेक लक्षण मेरे से मेल खा रहे थे इसलिए मैं घबरा गया। उनमे लिखा था– क्या आपका पेट गड़बड़ रहता है, भूख कम लगती है, तेज चलने पर थक जाते हैं, चिंता ज्यादा करते हैं, कभी -कभी पेट साफ़ नहीं होता, पूरी नींद नहीं आती है, कभी-कभी बेचैनी रहती है आदि-आदि।
बड़ी देर के बाद जब हमारा नंबर आया तो मैं फिर से हैरान रह गया। चैम्बर में चप्पे-चप्पे पर बाजार मौजूद था। वह उनके पेन स्टैंड पर था। उनके कैलेंडर पर था। टेबल पर कांच के नीचे था।
जब डॉक्टर साहब ने परीक्षण के बाद पेन उठाकर दवाई लिखना शुरू किया तब वह फुदक कर पेन से पर्चे पर सवार हो गया। जब पेज पूरा भर गया तो उन्होंने वह हमें देते हुए कहा, ‘यह दवाई और जांच करवा कर फिर से मिलें। कहां से करवानी है यह मेरा सहायक बतला देगा।’
अवेयर से सराबोर होकर जब हम क्लीनिक से बाहर निकले तो मैंने पलटकर देखा। बाजार हाथ जोड़ कर कह रहा था- थैंक्यू, विजीट अगेन।