नयी दिल्ली, 1 मई (एजेंसी)
दिल्ली की एक अदालत ने धनशोधन मामले में एक आरोपी का इलाज करने वाले डॉक्टरों के बयान दर्ज करने के लिए सख्त पीएमएलए कानून का उपयोग करने पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की आलोचना की। विशेष जज विशाल गोगने ने कहा, ‘यदि इतिहास से कोई सबक सीखा जाए तो यही देखने को मिलेगा कि मजबूत नेता, कानून और एजेंसियां आमतौर पर उन्हीं नागरिकों को निशाना बनाती हैं, जिनकी रक्षा का वे संकल्प लेते हैं। ऐसे कानूनों को हमेशा औसत नागरिकों के खिलाफ लागू करने का आरोप लगाया जाता है। कानून का पालन करने वाले निजी अस्पतालों के डॉक्टरों के खिलाफ ईडी द्वारा धारा 50 का उपयोग इस धारणा में एक समकालीन योगदान है।’
विशेष जज ने यह टिप्पणी अमित कत्याल द्वारा दाखिल एक आवेदन पर फैसला करते हुए की। इसमें रेलवे नौकरी के बदले जमीन घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में चिकित्सा आधार पर 5 फरवरी को दी गई अंतरिम जमानत को बढ़ाने का अनुरोध किया गया था। न्यायाधीश ने 30 अप्रैल को अंतरिम जमानत के विस्तार को यह देखते हुए अस्वीकार कर दिया कि कत्याल ठीक होने की राह पर हैं और जेल परिसर के भीतर निर्धारित जीवनशैली का पालन कर सकते हैं।
कत्याल की ओर से पेश वरिष्ठ वकील विकास पाहवा ने उन डॉक्टरों के बयान दर्ज करने में ईडी द्वारा पीएमएलए की धारा 50 के उपयोग पर आपत्ति जताई थी। आरोपी अंतरिम जमानत मिलने के बाद इन डॉक्टरों से अपोलो अस्पताल, दिल्ली और मेदांता अस्पताल, गुरुग्राम में इलाज करा रहा था। न्यायाधीश ने कहा कि आरोपी के साथ डॉक्टरों की सांठगांठ के रत्ती भर भी आरोप के बिना ईडी के लिए एक सामान्य नागरिक को ‘धारा 50 की कड़ी प्रक्रिया’ के अधीन करने का कोई औचित्य नहीं है।