हिसार, 18 मई (हप्र)
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय को वर्सेटाइल हैंडी ट्रॉली, स्कॉलर चेयर व मूवेबल मिल्किंग स्टूल नामक 3 डिजाइन विकसित करने पर भारतीय पेटेंट कार्यालय ने डिजाइन का पंजीकरण प्रदान किया है।
इन सभी डिजाइन को भारत सरकार की ओर से प्रमाण पत्र मिल गया है। जिसकी डिजाइन संख्या क्रमश: 386671-001, 386669-001 तथा 386668-001 है।
इन सभी डिजाइन को विश्वविद्यालय के मानव संसाधन प्रबंधन निदेशक डा. मंजु महता की देखरेख में दो शोध छात्राओं आयशा और मीनू ने किया।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर काम्बोज ने कहा कि यह विश्वविद्यालय के लिए गर्व की बात है कि विश्वविद्यालय को एक साथ 3 डिजाइन प्राप्त हुए हैं।
उन्होंने विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों व शोधार्थियों से भविष्य में भी इसी प्रकार निरंतर प्रयासरत रहने की अपील की है ताकि विश्वविद्यालय का नाम यूं ही रोशन होता रहे।
इस अवसर पर ओएसडी डॉ.अतुल ढींगड़ा, सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय की अधिष्ठाता डॉ. बीना यादव, मीडिया एडवाइजर डॉ. संदीप आर्य एवं आइपीआर सैल के प्रभारी डॉ.योगेश जिंदल उपस्थित रहे।
डिजाइन की विशेषताएं
वर्सेटाइल हैंडी ट्रॉली : यह ट्रॉली लोहे से बनी है। इसे मांसपेशियों के तनाव और थकान को कम करने के लिए डिजाइन किया गया है। यह भारी भार को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने में मदद करती है। जिससे उत्पादकता बढ़ती है। ट्रॉली के तीनों किनारों पर दिए गए रॉड समर्थन प्रदान करती है, जिससे भारी सामग्री गिरने या फिसलने से बचती है। पहले वाली ट्रॉली जिसमें रॉड नहीं होते उसमें सामग्री गिरने का भय रहता था।
स्कॉलर चेयर: -इस चेयर के उपयोग के दौरान आराम प्रदान करने के लिए पीछे और सीट पर कुशन लगे हैं। लंबे समय तक बैठने पर आराम में सुधार के लिए एग्र्रोनोमिक फुट रेस्ट प्रदान किया गया है। इससे थकान कम होती है और पैरों को आराम मिलता है। अध्ययन, ड्राइंग जैसे विभिन्न उद्देश्यों के लिए कुर्सी के बाई और एक फोलडेबल पैनल जुड़ा हुआ है।
मूवेबल मिल्किंग स्टूल: बैठने की सुविधा के लिए स्टूल की सीट गद्देदार बनाई गई है। स्टूल के साथ लगे छोटे पहियों की सहायता से बैठकर स्टूल को घुमाकर दूध को आसानी से निकाला जा सकता है। यह स्टूल लोहे से बना है। यह स्टूल काम करते समय पीठ के निचले हिस्से, कुल्हे के जोड़ो और रीड़ की हड्डी को सहायता प्रदान करता है।