अफ्रीका में जोसेफ डोक नामक एक अंग्रेज पादरी गांधीजी के चरित्र, व्यक्तित्व व उच्च आदर्शों से अत्यधिक प्रभावित हुए। वे भारतीय धर्म और अध्यात्म पर गहन निष्ठा रखने लगे। आगे चलकर वे भारतीय स्वाधीनता संग्राम को भी न्यायोचित समझने लगे और उसका समर्थन करने लगे। उनकी यह उदारता उनके जाति-बंधुओं को सहन नहीं हुई और वे उन्हें तरह-तरह से परेशान करने लगे। गांधी जी को यह ज्ञात हुआ, तो वे पादरी जोसेफ डोक से बोले, ‘आप हमारे लिए क्यों कष्ट उठाते हैं? यह तो हमारी लड़ाई है।’ इस पर डोक ने हृदयस्पर्शी उत्तर दिया, ‘आपने ही तो कहा था कि पीड़ितों की सेवा करना, उन पर अहसान करना नहीं है। वही तो मैं कर रहा हूं।’ अन्यायी चाहे जो हो, उसका प्रतिकार तो करना ही चाहिए।
प्रस्तुति : नीता देवी