दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 24 मई
लोकसभा की दस सीटों के चुनावी नतीजे हरियाणा में चार महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनावों की भी राह तैयार करेंगे। इसी के चलते सत्तारूढ़ भाजपा के अलावा प्रमुख विपक्षी दल – कांग्रेस भी चुनावों को लेकर एड़ी-चोटी का जोर प्रचार के दौरान लगाए हुए थे। वहीं दूसरी ओर, वजूद की लड़ाई लड़ रही इनेलो और जजपा के भविष्य का भी फैसला चुनावी नतीजों से होगा। सत्तारूढ़ भाजपा जहां एक बार फिर केंद्र में मोदी सरकार बनाने और ‘अबकी बार 400 पार’ के नारे के साथ चुनाव लड़ रही है। केंद्र सरकार की नीतियों के अलावा हरियाणा में मनोहर सरकार के लगभग सवा नौ वर्षों के कार्यकाल में लिए गए फैसलों और नीतियों को चुनाव प्रचार के दौरान मुद्दा बनाया गया।
भाजपा ने सरकारी नौकरियों में अपने ‘मिशन मैरिट’ के अलावा गरीब परिवारों को आयुष्मान योजना के तहत पांच लाख रुपये तक मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा, बीपीएल कार्ड, गरीब परिवारों को मुफ्त राशन के अलावा लोगों को घर बैठे मिली सुविधाओं को भुनाने की कोशिश की। भाजपा की ओर से प्रदेश के किसान वर्ग को यह भी समझाने और बताने की कोशिश की गई कि किसानों को सुविधाएं देने में हरियाणा, दूसरे राज्यों से कहीं आगे है। यह अकेला ऐसा राज्य है, जहां किसानों की चौदह फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदा जा रहा है। किसानों को उनकी फसलों का भुगतान भी सीधे बैंक खाता में ट्रांसफर किया जा रहा है।
राम मंदिर निर्माण, अनुच्छेद-370 सहित केंद्र के अधिकांश फैसलों की चुनाव प्रचार में चर्चा सुनने को मिली। वहीं दूसरी ओर, कांग्रेस को लगता है कि भाजपा सरकार के दस वर्षों के कार्यकाल की वजह से बनी एंटी-इन्कमबेंसी का पार्टी को फायदा होगा।
सीएम सैनी का राजनीतिक भविष्य तय करेगा करनाल
करनाल विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में भाजपा की ओर से सीएम नायब सिंह सैनी खुद चुनाव लड़ रहे हैं। कुरुक्षेत्र के मौजूदा सांसद नायब सिंह सैनी के लिए यह सीट पूर्व सीएम मनोहर लाल ने खाली की थी। 2019 के आमचुनाव में करनाल से मनोहर लाल के मुकाबले चुनाव लड़ चुके कांग्रेस के सरदार तरलोचन सिंह लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री के सामने चुनाव लड़ रहे हैं। इस बार नायब सिंह सैनी के मुकाबले वे चुनाव लड़ रहे हैं। इस सीट पर कुल नौ प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं।
प्रत्येक सीट पर ऐसे समीकरण
रोहतक : पूर्व सीएम और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का गढ़ कहे जाने वाले रोहतक लोकसभा क्षेत्र में भी चुनाव रोचक बना हुआ है। यहां से हुड्डा के पुत्र, तीन बाद सांसद रहे और वर्तमान में राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा चुनाव लड़ रहे हैं। उनका मुकाबला भाजपा के मौजूदा सांसद डॉ. अरविंद शर्मा से है। यहां आमने-सामने की टक्कर देखने को मिली है। कांग्रेस ने रोहतक में चुनाव प्रचार को लोकसभा के साथ-साथ विधानसभा चुनाव से जोड़कर लड़ा। यहां हरियाणा में सरकार बनाने की लड़ाई भी लड़ती कांग्रेस नजर आई। इस सीट से जजपा ने रविंद्र सिंह सांगवान को उतारा हुआ है।
करनाल: करनाल में पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर भाजपा टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। मनोहर लाल सवा नौ वर्षों से अधिक समय तक हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे हैं। उन्होंने व्यवस्था परिवर्तन पर जोर दिया। नौकरियों में ‘मिशन मैरिट’ को वे अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि मानते हैं। कांग्रेस ने उनके मुकाबले दिव्यांशु बुद्धिराजा को मैदान में उतारा हुआ है। इनेलो समर्थन से एनसीपी के मराठा वीरेंद्र वर्मा चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं जजपा से देवेंद्र कादियान प्रत्याशी हैं।
अम्बाला : अंबाला में टक्कर अंबाला सीट पर पूर्व केंद्रीय मंत्री रतनलाल कटारिया की पत्नी बंतो कटारिया भाजपा उम्मीदवार हैं। कांग्रेस से मुलाना विधायक वरुण चौधरी चुनाव लड़ रहे हैं। दोनों में कांटे की टक्कर है। जजपा से डॉ. किरण पूनिया और इनेलो ने सरदार गुरप्रीत सिंह को टिकट दिया हुआ है।
कुरुक्षेत्र : कुरुक्षेत्र संसदीय सीट पर भाजपा ने पूर्व सांसद नवीन जिंदल को चुनाव लड़वाया है। इंडिया गठबंधन से आप प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सुशील गुप्ता चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं इनेलो प्रधान महासचिव एवं ऐलनाबाद विधायक अभय चौटाला सीट पर मुकाबले को त्रिकोणीय बना रहे हैं।
सिरसा : सिरसा में पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा कांग्रेस की टिकट पर चुनावी रण में डटी हैं। उनके मुकाबले भाजपा ने कांग्रेस के ही पूर्व प्रदेशाध्यक्ष डॉ़ अशोक तंवर को मैदान में उतारा हुआ है। जजपा ने पूर्व विधायक रमेश खटक तथा इनेलो ने संदीप लोट को अपना प्रत्याशी बनाया है।
हिसार : हिसार संसदीय सीट पर देवीलाल परिवार के ही तीन सदस्य आमने-सामने हैं। भाजपा से चौ. रणजीत सिंह चुनाव लड़ रहे हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री जयप्रकाश ‘जेपी’ कांग्रेस उम्मीदवार हैं। वहीं इनेलो ने देवीलाल परिवार से सुनैना चौटाला और जजपा ने विधायक नैना चौटाला को उतारा है।
सोनीपत: इस सीट से राई विधायक मोहनलाल बड़ौली भाजपा टिकट पर चुनावी रण में हैं। कांग्रेस ने जींद जिला के गांगोली के सतपाल ब्रह्मचारी पर दांव खेला हुआ है। दोनों ही ब्राह्मण हैं। मुकाबला कांटे का है। जजपा से भूपेंद्र सिंह मलिक और इनेलो से अनूप सिंह दहिया चुनावी मैदान में हैं।
भिवानी : भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से भाजपा के मौजूदा सांसद धर्मबीर सिंह जीत की हैट्रिक के लिए मैदान में हैं। कांग्रेस ने महेंद्रगढ़ विधायक राव दान सिंह पर दांव खेलकर मुकाबले को रोचक बना दिया। जजपा से पूर्व विधायक राव बहादुर सिंह रण में हैं।
गुड़गांव: गुड़गांव संसदीय सीट से लगातार तीन बार के सांसद व केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह छठी बार संसद पहुंचने की कोशिश में हैं। कांग्रेस ने फिल्म अभिनेता व पूर्व सांसद राज बब्बर को उनके मुकाबल उतारा है। जजपा से सिंगर राहुल यादव फाजिलपुरिया मैदान में हैं।
फरीदाबाद : केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर फरीदाबाद से जीत की हैट्रिक लगाने के लिए डटे हैं। पूर्व मंत्री व पांच बार के विधायक महेंद्र प्रताप सिंह कांग्रेस टिकट पर कड़ी टक्कर दे रहे हैं। वहीं जजपा टिकट पर नलिन हुड्डा तथा इनेलो की ओर से सुनील तेवतिया चुनाव लड़ रहे हैं।
प्रचार में साधु-संत भी रहे एक्टिव
लोकसभा के चुनावों में इस बार साधु-संतों का भी हरियाणा में आना हुआ। विभिन्न पीठों व गद्दियों के महंतों ने भी हरियाणा में अपने कार्यक्रम किए। हालांकि प्रत्यक्ष रूप से उन्होंने चुनावों को लेकर किसी तरह की टिप्पणी नहीं की लेकिन सनातन धर्म के प्रचार के बहाने वे हिंदूवाद की बात करते जरूर नजर आए। बाघेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री के प्रति कुरुक्षेत्र से इंडिया गठबंधन से आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी डॉ. सुशील गुप्ता द्वारा की गई टिप्पणी भी चर्चाओं में बनी रही। दरअसल, कुरुक्षेत्र में आयोजित धार्मिक आयोजन के दौरान धीरेंद्र शास्त्री ने वहां मौजूद श्रद्धालुओं को कहा था कि वे भगवान के प्रेम में पागल हैं। कुरुक्षेत्र की तरह ही उन्होंने पानीपत में भी लोगों को प्रेम में पागल बताया। इस पर सुशील गुप्ता ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि हरियाणा के लोगों को पागल कहना गलत है। इतना ही नहीं, उन्होंने धीरेंद्र शास्त्री को कथित रूप से पागल बताया और उनके पिता-दादा को लेकर भी टिप्पणी की। यह मामला गरमाया और इस पर विवाद खड़ा हुआ तो सुशील गुप्ता को इस पर सफाई देनी पड़ी।