तेज धूप व गर्म हवाओं के इस मौसम में सेहत संबंधी समस्याएं सामने आती हैं। डिहाइड्रेशन, पाचन में गड़बड़ी, तनाव व संक्रामक रोग इनमें प्रमुख हैं। ऐेसे में खूब पानी पीना, ठंडे परिवेश में रहना व सुबह-सुबह सैर व योग तन-मन को नीरोगी रखने को जरूरी हैं।
डॉ. मोनिका शर्मा
अत्यधिक तपिश का मौसम तन-मन से जुड़ी कई समस्याएं भी साथ लाता है। इन दिनों स्वास्थ्य की देखभाल से लेकर खानपान तक, हर मामले में एहतियात बरतना जरूरी है। झुलसाती गर्मी के मौसम में बच्चों से लेकर बड़ों तक, हर उम्र के लोगों के लिए जरा सी लापरवाही भी मुसीबत बन सकती है। घर-आंगन में ठंडक के अहसास को बनाये रखना हो या रसोईघर में हल्का-सुपाच्य भोजन बनाने की समझदारी, अत्यधिक गर्मी में छोटी-छोटी बातें बहुत सी परेशानियों से बचा सकती हैं। गर्मी में छुट्टियां मनाने बाहर जाएं या घर में ही समय बिताएं, संयम और सजगता बरतना जरूरी है।
शारीरिक समस्याओं का घेरा
मौसमी बदलाव भर समझी जाने वाली हीटवेव बहुत ही शारीरिक परेशानियों का कारण बनती हैं। यही वजह है कि प्राकृतिक आपदाओं की सूची में गर्मी की लहरों यानी हीट वेव्स को ‘साइलेंट किलर’ के रूप में जाना जाता है। तेज गर्मी के कारण डिहाइड्रेशन, नसों की ऐंठन, थकावट और हीट स्ट्रोक जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं भी देखने को मिलती हैं। पहले से ही किसी व्याधि से जूझ रहे लोगों में अत्यधिक गर्मी के चलते स्वास्थ्य संबंधी जटिलताएं और बढ़ जाती हैं। तेज तापमान को नियंत्रित करने में बहुत से लोगों का शरीर असमर्थ हो जाता है। राह चलते लोग बेहोश हो जाते हैं। शरीर के भीतर ही नहीं, बाहर भी कई तकलीफें उभर आती हैं। घमौरियां, स्किन रैशेज, और बदहजमी जैसी परेशानियां खूब देखने में आती हैं। टैनिंग की समस्या त्वचा को नुकसान पहुंचाती है तो बढ़ता पारा शरीर को थकाने लगता है। कई तरह के संक्रामक रोग भी पैदा होते हैं। सजग न रहा जाये तो बीमारियां जकड़ सकती हैं।
मन पर भी असर
बढ़ती तपिश तनाव का भी कारण बनती है। शरीर डिहाइड्रेशन और मन थकान की शुष्कता से जूझता है। ऐसे में मन के मौसम को बेहतर रखने के लिए सुबह जल्दी उठकर योग-मेडिटेशन और हरियाली वाली खुली जगह पर सैर करना अच्छा है। ठंडी हवा में सुबह-सुबह किये गये व्यायाम और सैर तनाव को दूर कर दिलो-दिमाग को ऊर्जावान बनाने में सबसे ज्यादा मददगार होते हैं। ताज़ा हवा मन को सहज-शांति की अनुभूति करवाती है। विशेषज्ञ भी मानते हैं कि तेज़ तापमान के साइड-इफेक्ट्स की फेहरिस्त में मन की मायूसी भी शामिल है। ऐसे में थोड़ी सी सक्रियता बड़ी मदद कर सकती है। गर्मियों में लोग अवसाद और अकेलेपन का भी शिकार हो जाते हैं। जिसे ‘समरटाइम ब्लूज़’ कहा जाता है। लंबे दिन, बढ़ती गर्मी और उमस के चलते भूख न लगना, अनिद्रा और बेचैनी जैसी समस्याएं भी घेर लेती हैं। तीव्र गर्मी के नकारात्मक प्रभावों से बचाने के लिए दिनचर्या में बदलाव करना आवश्यक है।
सुकूनदायी हो परिवेश
घर के परिवेश को भी सुकूनदायी बनाना जरूरी है। आंगन को ठंडा रखने के अलावा घर का कीटाणु मुक्त होना भी समस्याओं से बचाता है। इस मौसम में स्वच्छता और शीतलता दोनों पर गौर करना होता है। छोटे-छोटे उपाय घर को ठंडा और स्वच्छ रख सकते हैं। तपिश भीतर दाखिल न हो इसके लिए खिड़कियों पर परदे और बालकनी-बरामदे में ग्रीन नेट लगाकर राहत पाई जा सकती है। इनडोर प्लांट्स भी घर को ठंडा और हराभरा रखते हैं। सुबह-शाम हरियाली भरे आंगन में कुछ समय बिताना लू और चिलचिलाती धूप से राहत दे सकता है। ताज़ा हवा आने के लिए सुबह शाम खिड़की-दरवाज़े भी खोलकर रखना चाहिए। अच्छा वेंटिलेशन भी घर की ठंडक बढ़ाने में मददगार बनता है।
परंपरागत तरीकों को प्राथमिकता
गर्मी से बचाव के लिए परंपरागत तरीकों को प्राथमिकता दें। भारतीय जीवनशैली में खानपान से लेकर रहन-सहन तक, हर मौसम से जूझने के तौर-तरीके शामिल हैं। इस मौसम में दही, छाछ, गन्ने का रस जैसे लिक्विड्स का इस्तेमाल बढ़ाएं। भोजन हल्का और सुपाच्य बनाएं। गरिष्ठ भोजन पाचन की परेशानी बढ़ा सकता है। खाना ताजा ही खाएं और बाहर के खाने से भी दूरी रखें। फ़ूड पॉयजनिंग के मामले इस मौसम में ही सबसे ज्यादा होते हैं। गर्म मौसम में बैक्टीरिया बहुत जल्दी पैदा होते और फैलते हैं। जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ता है। टमाटर, लौकी, ककड़ी, संतरे, तरबूज और खरबूजे जैसे मौसमी फल-सब्जियों का इस्तेमाल करें। इनमें पोषण के साथ ही पानी की मात्रा भी ज्यादा होती है। पसीना बहने के मौसम में शरीर में पानी की कमी भी नहीं होती। इसी तरह रायता, सत्तू, नारियल पानी और जौ -चने जैसे मोटे अनाज को नियमित रूप से खानपान का हिस्सा बनाइए। चाय-काफी की जगह शरबत, शिकंजी जैसे देसी पेय पीने को तरजीह दें। ऐसी बातों का ध्यान रखते हुए गरम-शुष्क मौसम को भी स्वास्थ्य, सक्रियता, स्फूर्ति और सुकून संग बिताया जा सकता है।