यमुनानगर, 29 मई (हप्र)
दिल्ली सरकार बार-बार आरोप लगा रही है कि हरियाणा से दिल्ली को यमुना के माध्यम से पानी की सप्लाई बंद कर दी गई है। जबकि प्रदेश सिंचाई विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि हथिनीकुंड बैराज के माध्यम से एमओयू के मुताबिक जो बनता है उतना पानी सप्लाई किया जा रहा है। सिंचाई विभाग के सुपरिंटेंडिंग इंजीनियर आरएस मित्तल ने बताया कि हथिनीकुंड बैराज में स्काडा सिस्टम स्थापित किया गया है। जिसके माध्यम से कोई भी ऑनलाइन यह जांच कर सकता है कि कितना पानी दिल्ली गया है। इसी के माध्यम से हर घंटे अपडेट होता है। इसके अलावा दिल्ली और हरियाणा के वरिष्ठ अधिकारियों का एक ग्रुप है जिसमें हर 2 घंटे में पानी के बहाव, हथिनीकुंड बैराज में उपलब्ध जल और दिल्ली, हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश को कितना-कितना पानी बांटा गया उसका रिकॉर्ड रहता है। आरएस मित्तल ने यह भी बताया कि पिछले दिनों दिल्ली के फ्लड कमिश्नर हथिनीकुंड बैराज पर आए थे। यहां का स्काडा सिस्टम देखा। पानी बंटवारे का सिस्टम दिखा, जिससे वे संतुष्ट होकर गए हैं। उन्होंने कहा कि 1994 के एमओयू के मुताबिक ही पानी का बंटवारा हो रहा है।
सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन और एमओयू के मुताबिक 352 क्यूसेक पानी सबसे पहले यमुना में पशु पक्षियों के लिए छोड़ा जाता है। इसके बाद बाकी के पानी का एमओयू के मुताबिक ही बंटवारा किया जाता है।
कई इलाकों में भूजल स्तर नीचे
प्रदेश के कई इलाके पानी की कमी से प्रभावित हो रहे हैं। प्रदेश के कई ब्लॉकों में भूजल स्तर इतना नीचे जा चुका है कि आने वाले कुछ समय में वहां बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। इसी के चलते सरकार बार-बार धान की बिजाई न करने और पानी का कम से कम इस्तेमाल करने की एडवाइजरी जारी कर चुकी है।
गौरतलब है कि प्रदेश के कई उप मंडल ऐसे हैं जहां भूमिगत पानी स्रोत काफी नीचे जा चुका है, इसी के चलते फसलें प्रभावित होने लगी हैं।
वर्तमान पीढ़ी झेल रही पानी की किल्लत : मंत्री
प्रदेश के कृषि मंत्री कंवरपाल गुर्जर का कहना है कि धान की फसल सबसे ज्यादा पानी मांगती है। इसीलिए धान की बिजाई किसानों को कम से कम करने की अपील की जाती है, ताकि आने वाली पीढ़ी के लिए भी जल उपलब्ध हो सके। वर्तमान परिस्थितियों के मुताबिक इसी पीढ़ी को ही पानी को लेकर दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।