यशपाल कपूर/निस
सोलन, 4 जून
शिमला संसदीय क्षेत्र से सांसद व भाजपा प्रत्याशी सुरेश कश्यप ने दूसरी बार संसद जाने का मार्ग प्रशस्त किया है। शांत स्वभाव व हंसमुख चेहरा और आकर्षक व्यक्तित्व शिमला संसदीय क्षेत्र से लोगों की दूसरी बार पसंद बना।
वर्ष 2012 में भाजपा ने पच्छाद विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के कद्दावर नेता व पूर्व विस अध्यक्ष गंगूराम मुसाफिर को हराकर विधानसभा में पहुंचे सुरेश कश्यप ने हिमाचल में अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज करवाई थी। वर्ष 2019 में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने उन पर भरोसा जताया और दो बार लगातार सांसद रहे वीरेंद्र कश्यप का टिकट काटकर युवा चेहरे को टिकट दे दिया। वह एक लाख से अधिक मतों से जीतकर संसद पहुंचे। पिछले 12 साल में ही सुरेश कश्यप तीन विधानसभा और दो लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं। इसके अलावा वह हिमाचल प्रदेश भाजपा के भी अध्यक्ष रहे चुके हैं। छोटे से गांव से निकले सुरेश कश्यप ने भाजपा में अपना एक अलग मुकाम कायम किया है।
राजनीति में कैसे हुआ आगमन
2004 में वायुसेना सेवानिवृत होने के बाद अपने गांव आ गए। 2005 में उन्होंने बजगा बीडीसी का चुनाव लड़ा और विजय प्राप्त की। वर्ष 2006 में भाजपा एससी मोर्चा के जिला अध्यक्ष बने व इस पद पर 2009 तक रहे। 2009 से में भाजपा एससी मोर्चा के प्रदेश महासचिव बने और इस पद पर 2012 तक कार्य किया। इसी दौरान 2007 में उन्होंने पहला विधानसभा का चुनाव कांग्रेस के दिग्गज नेता गंगूराम मुसाफिर के खिलाफ पच्छाद विस से लड़ा, लेकिन सफलता ने उनका वरण नहीं किया। 2012 में उन्होंने दूसरा विधानसभा चुनाव में फिर कांग्रेस प्रत्याशी गंगूराम मुसाफिर व सुरेश कश्यप आमने-सामने थे, लेकिन इस चुनाव में जीत सुरेश कश्यप को मिली और पार्टी में उनका कद बढ़ा। तीसरी बार 2017 में फिर विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। 2019 व 2024 के लोकसभा चुनाव में शिमला संसदीय सीट पर सुरेश कश्यप का ही डंका बज रहा है। इस बार उन्होंने शिमला संसदीय सीट से 6 बार सांसद रहे केडी सुल्तानपुरी के बेटे और कसौली के वर्तमान विधायक विनोद सुल्तानपुरी को हराकर एक बार फिर से संसद जाने का अपना मार्ग प्रशस्त कर दिया।
पच्छाद के छोटे से गांव पपलांह में हुआ जन्म
सुरेश कश्यप का जन्म पच्छाद क्षेत्र की बजगा पंचायत से छोटे से गांव पपलाह में 23 मार्च, 1971 को माता शांति देवी व पिता चमेल सिंह के घर हुआ। पिता चमेल सिंह भाषा अध्यापक (एलटी) के पद से सेवानिवृत्त हैं। 24 अप्रैल, 1988 को जमा दो की पढ़ाई पूरी करने के बाद भारतीय वायुसेना भर्ती हो गए। यहां उन्होंने 2004 तक सेवाएं दी। वह एसएनसीओ के पद से सेवानिवृत्त हुए।