ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
चंडीगढ़, 6 जून
हरियाणा में पिछले पांच वर्षों की अवधि में भाजपा को 12 प्रतिशत के लगभग वोट बैंक का नुकसान हुआ है। हालांकि इससे पहले अक्तूबर-2019 में हुए विधानसभा चुनाव में भी भाजपा को बड़ा नुकसान हो चुका था। लोकसभा चुनावों में आमतौर पर राष्ट्रीय मुद्दे होते हैं। ऐसे में भाजपा को विधानसभा चुनावों में कम वोट मिलने को भी रुटीन में लिया गया लेकिन इस बार के लोकसभा चुनाव के नतीजों ने भाजपा को झटका दिया है। 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को 58.2 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे। इतना ही नहीं, भाजपा ने लोकसभा की सभी दस सीटों पर जीत भी हासिल की थी। इस बार भाजपा को पांच सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। वहीं पार्टी का वोट प्रतिशत भी घटकर 46.11 प्रतिशत रह गया। वहीं दूसरी ओर, कांग्रेस ने अपने वोट प्रतिशत में बड़ा इजाफा किया है। 2019 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को 28.5 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे। वहीं इस बार हरियाणा में इंडिया गठबंधन ने 47.61 प्रतिशत वोट हासिल किए हैं। पूरे देश में हरियाणा अकेला ऐसा राज्य है, जहां इंडिया गठबंधन को इतने प्रतिशत वोट हासिल हुए हैं। दूसरे नंबर पर 45.3 प्रतिशत वोट के साथ कर्नाटक दूसरे नंबर पर है। 2019 के लोकसभा चुनावों में जननायक जनता पार्टी को 4.9 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे। वहीं बसपा का वोट प्रतिशत 3.6 और इनेलो का वोट प्रतिशत 1.9 प्रतिशत था। अन्यों को 2.9 प्रतिशत मत हासिल हुए थे। इस बार के लोकसभा चुनावों में इनेलो को 1.74 और जजपा को 0.87 प्रतिशत वोट हासिल हुए। वहीं बसपा को 1.28 प्रतिशत वोट मिले।
लोकसभा के चुनावी नतीजों ने कांग्रेस को खुश होने की बड़ी वजह दे दी है। लेकिन इन नतीजों का विधानसभा पर भी इसी तरह का असर पड़ेगा, इसकी गारंटी नहीं दी जा सकती। ऐसा इसलिए क्योंकि इंडिया गठबंधन अगर 47.61 प्रतिशत वोट लेने में कामयाब रहा है तो सत्तारूढ़ भाजपा भी 46.11 प्रतिशत वोट पर खड़ी है।
कुरुक्षेत्र में आप को मिले 3.94 प्रतिशत वोट को निकाल दें तो कांग्रेस को नौ सीटों पर 43.67 प्रतिशत वोट हासिल हुए हैं। दस वर्षों से सत्तासीन भाजपा को 46.11 प्रतिशत वोट मिलना भी बड़ी उपलब्धि है।
2005 में कांग्रेस के थे 67 विधायक
मार्च-2005 में हरियाणा में कांग्रेस 67 विधायकों के साथ सत्ता में आई। 2009 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने 40 विधायकों के साथ लगातार दूसरी बार सरकार बनाई। इसी तरह से 2004 और 2009 में प्रदेश में कांग्रेस सांसदों की संख्या भी नौ-नौ रही। 2014 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस केवल रोहतक सीट जीत पाई और विधानसभा में पंद्रह सीटों पर सिमट गई। इसी तरह से 2014 में भाजपा ने 47 विधायकों के साथ पहली बार पूर्ण बहुमत से सरकार बनाई। 2019 में 40 विधायकों के साथ दूसरे कार्यकाल की शुरुआत की। दस वर्षों के कार्यकाल के बाद भी लोकसभा की पांच सीटों पर जीत और 46.11 प्रतिशत वोट मिलना भाजपा के लिए घाटे का सौदा नहीं कहा जा सकता।
साल 2019 में रचा था इतिहास
अक्तूबर-2019 में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा को बेशक 36.7 प्रतिशत वोट मिले थे, लेकिन भाजपा चालीस सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रही थी। वहीं कांग्रेस ने 28.2 प्रतिशत वोट लेकर 31 सीटों पर जीत हासिल की थी। 10 विधायकों वाली जजपा को 14.9 प्रतिशत मत हासिल हुए थे। बसपा का विधायक एक भी नहीं बना लेकिन उसका वोट प्रतिशत 4.2 प्रतिशत रहा। इनेलो के अभय चौटाला ऐलनाबाद से अकेले विधायक बने। उनकी पार्टी को महज 2.5 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे।