जयबीर सिंह/निस
बराड़ा, 6 जून
अम्बाला संसदीय सीट से कांग्रेस प्रत्याशी वरुण चौधरी ने भाजपा की बंतो कटारिया को 49,036 मतों से हराकर अपने पिता की 25 साल पहले हुई हार का बदला ले लिया है। इस चुनाव में बंतो कटारिया के अलावा हारे सभी 12 उम्मीदवार अपनी जमानत भी नहीं बचा पाये। इस सीट पर 6400 वोट नोटा को पड़ी है। वर्ष 2014 और 2019 में रतन लाल कटारिया ने इस सीट को भाजपा की झोली में डाला था।
मुलाना विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहते हुए कांग्रेस नेता वरुण चौधरी ने सांसद पद के लिए चुनाव लड़ा। उन्हें 6,63,657 मत मिले।
पूरी मतगणना के दौरान भाजपा प्रत्याशी एक बार भी कुल वोटों से लीड में नहीं आ सकी। वरुण चौधरी अपना बूथ हार गये, उन्हें यहां से मात्र 162 वोट मिले, जबकि भाजपा को इस बूथ से 476 वोट मिले। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के गांव से वरुण ने लीड लेकर इस कमी को पूरा किया। भाजपा प्रत्याशी बंतो कटारिया अपना विधानसभा पंचकूला व बूथ जीत गई। उनको अपने बूथ से 558 वोट मिले जबकि वरुण को यहां से 313 वोट ही प्राप्त हुए। वरुण समर्थकों का कहना है कि वरुण चौधरी ने वर्ष 1999 लोकसभा चुनाव में अपने पिता फूलचंद मुलाना की रतनलाल कटारिया से हुई हार का बदला लिया है। उस समय रतनलाल कटारिया ने फूलचंद मुलाना को 1,24,478 वोटो से हराया था।
पीएम-सीएम, दो मंत्री भी नहीं लगा पाये नैया पार
भाजपा प्रत्याशी बंतो कटारिया के पक्ष में अम्बाला में पीएम मोदी ने जनसभा की थी। जिसका कुछ खास फर्क दिखाई नहीं दिया। अम्बाला लोकसभा क्षेत्र में सीएम सहित दो राज्यमंत्री होते हुए भी भाजपा को निराशा हाथ लगी। सीएम सैनी के नारायणगढ़ क्षेत्र में मतगणना के 16 राउंड हुए लेकिन किसी में भी भाजपा प्रत्याशी लीड नहीं कर पायी। नारायणगढ़ से 20762, राज्य मंत्री असीम गोयल के अम्बाला सिटी से 5691, कंवरपाल गुर्जर के जगाधरी से 15446 मतों से कांग्रेस ने भाजपा को पीछे रखा। पूर्व गृह मंत्री अनिल विज के अम्बाला कैंट एरिया में बीजेपी को 2977 मतों की कुछ बढ़त मिली। वहीं घनश्यामदास अरोड़ा की यमुनानगर विधानसभा भाजपा को अच्छी ख़ासी 24675 मतों की लीड मिली। ज्ञानचंद गुप्ता की विधानसभा पंचकूला से भी बंतो को 22921 मतों की बढ़ौतरी मिली। कालका से भी भाजपा को 10845 मतों से जीत मिली।
भाजपा कार्यकर्ताओं का अति उत्साह पड़ा भारी
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं का अति उत्साह हार का कारण रहा। उनका मानना है कि अधिकांश बड़े नेता हलकों में अपने कार्यकर्ताओं के निवास स्थानों पर जाकर चाय-पार्टी करके फ़ोटो खिंचवाने तक ही सीमित रहे। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि भाजपा का भीतरघात भी इस हार के लिए जिम्मेदार है। वर्तमान हो या भूतपूर्व जिलाध्यक्ष, उनका स्थानीय जनता से संवाद न के बराबर रहा। भाजपा पदाधिकारियों की भारी भरकम फौज सहित आरएसएस की उदासीनता भी इस हार के लिए जिम्मेदार बताई जा रही है। भाजपा के संगठन का पूरी तरह से धरातल पर न उतारना बीजेपी के लिए नुक़सान दायक रहा। यही कारण है कि अम्बाला शहर, नारायणगढ़, मुलाना, सढ़ौरा व जगाधरी में कांग्रेस का पलड़ा भारी रहा।
विधायक पद से देना होगा इस्तीफा
बीते लोकसभा चुनाव-2019 में भाजपा के दिवंगत सांसद रतनलाल कटारिया को कुल 746508 मतों के साथ 57.06 प्रतिशत वोट मिले थे। वहीं कांग्रेस की प्रत्याशी कुमारी सैलजा को कुल 404163 मतों के साथ 30.89 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे। कांग्रेस की सीट से चुनाव जीते 44 वरुण चौधरी पूर्व कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष फूलचंद मुलाना के बेटे हैं। वर्ष 2019 में वरुण चौधरी ने मुलाना विधानसभा के कांग्रेस की टिकट पर जीत हासिल की थी। मुलाना विधायक रहते हुए इन्होंने लोकसभा का चुनाव लड़ा था। वरुण को उनकी निर्वाचन नोटिफिकेशन प्रकाशित होने के 14 दिनों के भीतर विधायक पद से त्यागपत्र देना होगा।
सीएम सैनी के गांव में भी हारी भाजपा
चुनाव आयोग से मिली जानकारी के अनुसार, सीएम नायब सैनी के पैतृक गांव मिर्जापुर माजरा के बूथ 122 पर भी भाजपा को हार का सामना करना पड़ा, यहां भाजपा को 364 वोट पड़े, जबकि वरुण ने 450 वोट लेकर जीत दर्ज की। वहीं राज्यमंत्री असीम गोयल के पैतृक गांव नन्यौला में भी कांग्रेस के प्रत्याशी वरुण चौधरी को भाजपा प्रत्याशी बंतो कटारिया से अधिक मत मिले।