मोहाली, 7 जून (हप्र)
मोहाली में शुक्रवार को सीबीआई की विशेष अदालत ने फर्जी मुठभेड़ में हत्या के 31 साल पुराने मामले में तत्कालीन डीएसपी सिटी तरनतारन (सेवानिवृत्त डीआईजी) दिलबाग सिंह को सात साल और पंजाब पुलिस के तत्कालीन एसएचओ गुरबचन सिंह (सेवानिवृत्त डीएसपी) को उम्रकैद की सजा सुनाई। विशेष जज राकेश कुमार की अदालत ने दोनों को बृहस्पतिवार को दोषी ठहराया था। केस में नामजद तीन अन्य पुलिसकर्मियों अर्जुन सिंह, दविंदर सिंह और बलबीर सिंह की मौत हो चुकी है।
तरनतारन के जंडाला रोड निवासी फल विक्रेता गुलशन कुमार की जुलाई 1993 में हत्या कर दी गयी थी। सीबीआई द्वारा दायर आरोप-पत्र के अनुसार गुलशन के पिता चमन लाल ने बयान दिया था कि तत्कालीन डीएसपी दिलबाग सिंह के नेतृत्व में तरनतारन की एक पुलिस पार्टी ने 22 जून 1993 को उसे और उसके तीन बेटों- परवीन कुमार, बॉबी कुमार तथा गुलशन कुमार को जबरन उठा लिया था। तीन दिन बाद चमन, परवीन और बॉबी को छोड़ दिया गया, लेकिन गुलशन को हिरासत में रखा गया। करीब एक महीने बाद फर्जी मुठभेड़ में उसकी हत्या कर दी गयी थी।
करना पड़ा लंबा संघर्ष : मृतक गुलशन के भाई बॉबी ने अदालत के फैसले पर संतुष्टि जताते हुए कहा कि इंसाफ के लिए परिवार को लंबा संघर्ष करना पड़ा। उसने कहा कि यह लड़ाई उसके पिता चमन लाल ने शुरू की थी। उनकी मृत्यु के बाद भाई परवीन ने यह लड़ाई जारी रखी, लेकिन इंसाफ मिलने से पहले उसकी भी मौत हो गई। भाई और पिता की मृत्यु के बाद बॉबी ने यह लड़ाई जारी रखी।