विवेक बंसल/हप्र
गुरुग्राम, 9 जून
गुड़गांव लोकसभा की सियासी पिच पर 2009 से नॉट आउट चल रहे राव इंद्रजीत सिंह ने जीत का सिक्सर मारकर मोदी सरकार में मंत्री बनने की हैट्रिक बना ली है। वे हरियाणा में ऐसे पहले राजनेता हैं जो छह बार सांसद बने हैं।
राव इंद्रजीत ने कई रिकॉर्ड अपने नाम किए हैं। गुड़गांव लोकसभा में सबसे अधिक 60.34 फीसदी वोट शेयर लेने का रिकॉर्ड भी उन्हीं के नाम है। इस लिहाज से आजादी के बाद हुए अब तक के चुनाव में राव इंद्रजीत ने सबसे ज्यादा वोट लेने का रिकॉर्ड साल 2019 के चुनाव में बनाया था। गुड़गांव लोकसभा से जीत की हैट्रिक लगाने वाले भी राव इंद्रजीत सिंह पहले राजनेता हैं।
राव इंद्रजीत ने अपनी सियासी पारी का आगाज साल 1977 में जाटूसाना विधानसभा (अब कोसली) हलके से किया था। उनके पिता राव बिरेंद्र सिंह की परंपरागत सीट रही जाटूसाना में बड़े राव ने अपने ज्येष्ट पुत्र इंद्रजीत सिंह को राजनीतिक वारिस बनाकर मैदान में उतारा। जनता ने उनके फैसले पर मुहर लगाते हुए पहले ही चुनाव में इंद्रजीत की सियासत में दमदार एंट्री कराई। 1977 में चंडीगढ़ पहुंचने के बाद राव इंद्रजीत सिंह ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और यहां से लगातार चार बार 1977 से 1982, 1982 से 1987 और 1987 से 1991 और फिर 2000 से 2004 तक हरियाणा विधानसभा के सदस्य के तौर पर चंडीगढ़ पहुंचे। 1986 से 1987 तक उन्हें हरियाणा सरकार में राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) की जिम्मेदारी मिली। 1991 से 1996 तक वह प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे। उन्होंने पर्यावरण एवं वन तथा चिकित्सा एवं तकनीकी शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण विभाग संभाले।
परिसीमन के बाद संभाला गुड़गांव : साल 2008 में हुए परिसीमन में गुड़गांव को फिर से लोकसभा क्षेत्र के रूप में अस्तित्व में लाया गया। 1971 के चुनाव के बाद इसे महेंद्रगढ़ में मर्ज कर दिया गया था। इसके बड़े हिस्से फरीदाबाद को अलग लोकसभा क्षेत्र बना दिया गया था। परिसीमन के बाद 2009 पंद्रहवीं लोकसभा के लिए चुनाव हुआ और क्षेत्र बदलने के बाद भी राव ने जीत हासिल की। यह संसद सदस्य के रूप में उनका तीसरा कार्यकाल था। 31 अगस्त 2009 को उन्हें संसद की सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी स्थायी समिति का सभापति बनाया गया। मई 2014 में उन्होंने गुड़गांव से सोलहवीं लोकसभा का चुनाव लड़ा और लगातार इस क्षेत्र से दूसरी तथा सांसद के रूप में तीसरी जीत हासिल की। 27 मई 2014 से 9 नवंबर 2014 तक वह केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) योजना सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन एवं योजना बनाए गए।
मई 2019 में उन्होंने गुड़गांव से जीत की हैट्रिक लगाते हुए सत्रहवीं लोक सभा के लिए निर्वाचित सदस्य के रूप में संसद में प्रवेश किया। बतौर सांसद उनका पांचवा कार्यकाल रहा। जून 2019 से लेकर संसद भंग होने तक वह केंद्रीय राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रहे।
1998 से शुरू हुआ संसद का सफर
महेंद्रगढ़ लोकसभा क्षेत्र पर एक छत्रराज कर रहे उनके पिता राव बिरेंद्र सिंह ने 1998 में उन्हें अपनी जगह लोकसभा का प्रत्याशी बनाया। राव पहले ही चुनाव में जीत हासिल कर संसद की चौखट पर पहुंच गए और देश की 12वीं लोकसभा के सदस्य बने। यहां से उनका देश की सबसे बड़ी पंचायत में पहुंचने का सिलसिला शुरू हुआ। हालांकि, अगले चुनाव यानी साल 1999 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा, लेकिन अगले चुनाव यानी साल 2004 के चुनाव में उन्होंने अपने प्रतिद्वंदियों से अपनी हार का बदला चुकता कर लिया। 1998 से 99 तक राव संसद विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर्यावरण और वन संबंधी स्थायी समिति के सदस्य रहे। 2004 में वह फिर महेंद्रगढ़ से चौदहवीं लोक सभा के लिए निर्वाचित हुए। मई 2004 में उन्हें केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री बनाया गया। 2006 तक वह इस जिम्मेदारी को निभाते रहे। फरवरी 2006 से 2009 तक राव केंद्रीय रक्षा उत्पादन राज्य मंत्री रहे।