रेखा शाह आरबी
माता-पिता अक्सर सोचते हैं कि अपने बच्चे को बेहतर बनाने के लिए क्या करना चाहिए। कौन सा ऐसा उपाय अपनाया जाए कि बच्चा फिजिकल, मेंटल, इमोशनल रूप से विकसित हो। लेकिन यह कहने में जितना आसान है करने में उतना ही कठिन है। क्योंकि हर एक बच्चा एक अलग पर्सनैलिटी होता है। एक ही रूल हर बच्चे पर लागू नहीं होता । हर बच्चे की पसंद, आदत, स्वभाव और मानसिकता अलग होती है। बच्चों को कुछ भी सिखाना अत्यंत जटिल कार्य है। कुछ बच्चे किसी कार्य को कह देने पर तुरंत कर देते हैं। और कुछ बच्चों के पीछे पड़ कर उनसे करवाना पड़ता है। माता-पिता के लिए काफी तनाव का कारण होता है। जानिये, बच्चों की सही तरीके से पैरेंटिंग के कुछ टिप्स :
बच्चों के दोस्त बने
माता-पिता बच्चे की जिंदगी में बहुत अहम रोल रखते हैं। वे ही अपने उसके पहले दोस्त और पहले टीचर होते हैं। इसलिए आपको अपने बच्चों के साथ दोस्ती करनी चाहिए। इससे वह आप पर भरोसा कर सकेंगे। उनसे दोस्तों की तरह बातें भी करें। ताकि वे आपके सामने कोई बात करने से हिचकें नहीं। बच्चों को उनकी बात रखने का कॉन्फिडेंस दे सकते हैं।
पढ़ने की तरफ नजरिया बदलें
माता-पिता बच्चों को अच्छे से अच्छा एजुकेशन देना चाहते हैं। लेकिन जहां तक बच्चे का सवाल है वह देखकर ही सीखते हैं। मतलब अगर माता-पिता खुद पढ़ने की तरफ इंटरेस्ट नहीं दिखाएंगे तो बच्चे भी ऐसा ही करेंगे। इसलिए पैरेंट्स के रूप में एजुकेशन की तरफ नजरिया बदलना होगा। बच्चे को प्रोत्साहित करने के लिए करने के लिए खुद न्यूज पेपर या पुस्तक पढ़े।
सिखाने का तरीका हो मजेदार
छोटे बच्चों को सिखाने का सबसे मजेदार तरीका है खुद भी उन चीजों को मजे लेकर करना। चीजों को दिलचस्प बनाना , बच्चों के साथ जरूरी टॉपिक को डिस्कस करते हुए उन्हें एक्चुअल जिंदगी की मिसाल देना। जिस चीज को सिखाना चाहते हैं उसे पॉजिटिव, तार्किक और समझने में आसान रखना। बच्चों की हर छोटी-बड़ी अचीवमेंट के लिए उनकी तारीफ करना यानी उनका हौसला बढ़ाना जरूरी है। अच्छा परफॉर्म करने से चूक गया है तो उसे यह समझने में मदद करें।
खुद को एनर्जेटिक रखना
माता-पिता बनना इमोशनल, मेंटल और फिजिकली रूप से थका देने वाला काम होता है। कभी-कभी ऐसा होता है कि माता-पिता बहुत थके होते हैं जिसकी वजह से चिड़चिड़े हो जाते हैं। बच्चों पर गुस्सा करने लगते हैं लेकिन यह गलत है। इससे बच्चे माता-पिता से दूर हो जाते हैं। बच्चों की देखभाल करने के लिए माता-पिता का एनर्जेटिक रहना भी बहुत जरूरी है इसके लिए योगा एक्सरसाइज कर खुद भी स्वस्थ रहें।
न सुनना भी सिखाएं
गलत के लिए न कहना सीखें। बच्चों के इमोशनल और मेंटल डेवलपमेंट के लिए उन्हें नियम और सीमाएं सीखने की जरूरत पड़ती है। वह जिद कर सकते हैं, चिल्ला सकते हैं लेकिन उनकी बुरी आदतों को बढ़ाने की बजाय उन्हें ऐसा करने से रोकना चाहिए।
स्वस्थ कंपटीशन
बच्चा अच्छा परफॉर्म करने की पूरी कोशिश करता है यह बहुत अच्छी बात है। लेकिन अच्छी बात यह कि वह दूसरों के बजाय खुद को अपना मुकाबला करने वाला माने। स्वयं से कंपटीशन करें। जो वह कल था उससे बेहतर बनने के लिए अपना बेस्ट परफॉर्म करे।
आजादी को महसूस करवाना
माता-पिता की यह आपकी जिम्मेदारी होती है कि अपने बच्चों को आजादी महसूस कराएं। इसलिए बच्चों को कुछ समय के लिए अकेला छोड़ना चाहिए। इससे बच्चे क्रिएटिव होकर सही मायने में अपनी आजादी को महसूस कर सकते हैं। उन्हें अकेला छोडि़ए परन्तु नजर बनाए रखिए कि आखिर वे अपने खाली समय का इस्तेमाल कैसे करते हैं। आप भी कुछ क्रिएटिव चीज सुझा सकते हैं।
ठेस न पहुंचाएं
कुछ माता-पिता गुस्से में होने पर बच्चों के संग मार पिटाई करते हैं जो गलत है। यदि आप किसी वजह से स्ट्रेस में हैं या बच्चे की गलती के कारण गुस्से में हैं तो भी बच्चे को हर्ट न करें। जाने-अनजाने ऐसा हो जाए तो उनसे माफी मांगें। गले लगाकर बताएं कि उनसे ये गलती हुई।
नींद का ध्यान, खेल को प्रोत्साहन
कुछ माता-पिता बच्चों को पढ़ाने के पीछे इतने दीवाने होते हैं कि उन्हें उनकी भूख-प्यास और नींद का भी ख्याल नहीं रहता। बच्चों को बच्चा समझ कर व्यवहार करें। बच्चों की मेंटल, फिजिकल और इमोशनल हेल्थ के लिए उसके भरपूर नींद का ख्याल रखे। बच्चों को खेलने के लिए प्रोत्साहित करते रहें। कोशिश करें कि वह फुटबॉल, क्रिकेट, बास्केटबॉल जैसे आउटडोर गेम की तरफ अपनी रुचि बनाए। इससे उसकी हेल्थ अच्छी रहती है। हो सके तो उनके साथ खेलें। इससे आप दोनों के रिश्ते और मजबूत होंगे।