यह दुर्भाग्यपूर्ण ही है कि जिन रक्षकों के भरोसे सरकार नशा तस्करों से दो-दो हाथ करती रही है, उनमें से कुछ लोग नशे के धंधे को सींचने पर लगे रहे हैं। यह सरकार ही नहीं पुलिस विभाग के लिये भी दुखद स्थिति है कि बाड़ ही खेत को खाने लगी है। सही मायनों में यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि चंद रुपयों के लालच में कुछ खाकी वर्दीधारियों के हाथों में नशे के काले कारोबार की कालिख लगी हुई है। यह संकट कितना बड़ा है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि हजारों पुलिसकर्मियों के ट्रांसफर करने पड़े हैं। मुख्यमंत्री भगवंत मान को कहना पड़ा है कि विभिन्न संवेदनशील स्थानों पर वर्षों से जमे हुए करीब दस हजार पुलिस मुलाजिमों के तबादले किये गए हैं। जाहिर, इतने बड़े पैमाने पर तबादले करने का कोई ठोस तार्किक आधार ही होगा। कई डिवीजनों में लंबे समय से जमे मुलाजिम नशा तस्करों के मददगार बने हुए थे। विगत में कई राजनेताओं पर भी नशे के कारोबार में हिस्सेदारी के आरोप लगे थे। जाहिर है, ऐसे प्रभावशाली नेताओं ने लाभदायक स्थानों पर अपनी सुविधा के पुलिस मुलाजिम तैनात किये होंगे। साफ-सी बात है कि बिना राजनेताओं व पुलिसिया मदद के नशे के बड़े तस्कर ज्यादा दिन टिक नहीं सकते। जैसा कि भगवंत मान कह भी रहे हैं कि पंजाब में नशीले पदार्थ पैदा नहीं होते। यह नशा अन्य राज्यों से तस्करों द्वारा पंजाब भेजा जाता है। विगत में भी ड्रोन के जरिये नशीले पदार्थों की खेप पाकिस्तान से लायी जा रही थी। सीमा सुरक्षा बलों की चौकसी से उसे बार-बार बरामद किया जा सका है। पंजाब के सीमावर्ती जिलों से भी ड्रोन सीमा पार नशे की खेप लेने के लिये भेजे जाते रहे हैं। ऐसे में पुलिस विभाग में कार्यरत काली भेड़ों के खिलाफ कार्रवाई व मुलाजिमों के तबादलों से निश्चित रूप से नशे के तस्करों पर नकेल कसी जा सकेगी। मान सरकार ने चेताया है कि नशे की तस्करी में शामिल पुलिसकर्मी बर्खास्त होंगे। साथ ही नशा तस्करों की संपत्ति भी तत्काल जब्त होगी।
दुखद ही है कि पंजाब आज नशे के अंधाधुंध कारोबार से पतनशील स्थिति की ओर अग्रसर है। इसे रोकने के लिये सरकार की सख्ती और पुलिसकर्मियों की ईमानदारी अपरिहार्य शर्त है। आये दिन पंजाब के विभिन्न भागों से नशे की ओवरडोज से युवाओं के मरने की खबरें आती हैं। उनके रोते-बिलखते परिवारों के दर्द को मान सरकार ने महसूस किया है। इस बड़ी लड़ाई से मुकाबले के लिये आप सरकार ने राज्य पुलिस में दस हजार नई भर्ती करने की भी घोषणा की है। निश्चित रूप से इन नियुक्तियों से जहां पुलिस बल को नशे के तस्करों से लड़ने के लिये नई ताकत मिलेगी, वहीं दस हजार युवाओं के परिवारों में नौकरी लगने से खुशियां आएंगी। बेहतर रोजगार स्थिति में आने के कारण कई युवा नशे की राह चुनने से बच सकेंगे। निश्चित रूप से पंजाब पर कसता नशे का शिकंजा एक गंभीर चुनौती है। सरकार को व्यापक अध्ययन करके उन परिस्थितियों का पता लगाना चाहिए, जिनकी वजह से युवा नशे की दलदल में धंस रहे हैं। राज्य में सरकार, प्रशासन और नागरिक स्तर पर नशे के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए। उन लोगों की पहचान गोपनीय रखनी चाहिए, जो नशा तस्करों के खिलाफ सूचना पुलिस को देते हैं। यदि विभाग के लोग नशा तस्करों से सांठगांठ के चलते गोपनीय सूचनाएं लीक करेंगे, तो सूचना देने वालों का जीवन भी संकट में पड़ सकता है। इसके अलावा पहले से नशे की लत के शिकार युवाओं को इस दलदल से निकालने तथा उनके पुनर्वास की दिशा में भी गंभीर कोशिश वक्त की जरूरत है। मान सरकार की नशा उन्मूलन की सार्थक पहल व तस्करों के खिलाफ सख्ती एक दिन रंग लाएगी। इसके अलावा सरकार को राज्य में रोजगार के नये अवसर सृजित करने को प्राथमिकता बनाना होगा। साथ ही पंजाब में खेलों को बढ़ावा देना होगा ताकि युवा नशे से दूर रहकर अपना व परिवार का भविष्य संवार सकें। इसके अलावा निकटवर्ती राज्यों की मदद से सीमा पर सख्ताई करके नशे की तस्करी पर अंकुश लगाने की भी कोशिश हो।