सुरेंद्र मेहता/हप्र
यमुनानगर, 23 जून
प्रदेश के कई जिलों में अगले कुछ वर्षों में पानी के लिए भारी संकट उत्पन्न हो सकता है। हरियाणा एवं केंद्र सरकार के विभिन्न विभाग लोगों को इस दिशा में जागरूक करने और पानी का कम से कम इस्तेमाल करने की सलाह दे रहे हैं। इसके बावजूद जो आंकड़े सामने आए हैं वह चौंकाने वाले हैं। हरियाणा के 14 जिलों में स्थिति गंभीर है। 1948 गांव रेड जोन में पहुंच चुके हैं। 85 ब्लॉक डार्क जोन की श्रेणी में आ चुके हैं। जल संसाधन मंत्रालय ने प्रदेश की एक रिपोर्ट जारी करते हुए सभी जिला अधिकारियों को वर्ष 2025 तक इसमें सुधार के निर्देश दिए हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदेश के 14 जिलों में भूजल स्तर 30 मीटर से भी नीचे खिसक चुका है। लिहाजा, हर साल 14 लाख करोड़ लीटर पानी की कमी से जूझ रहे प्रदेश में 34.96 लाख करोड़ लीटर पानी चाहिए, जबकि उपलब्ध सिर्फ 20.93 लाख करोड़ लीटर है। आगामी दो वर्षों में 9.63 लाख करोड़ लीटर पानी की डिमांड बढ़ने का अनुमान है।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के अनुसार, प्रदेश के 40 हजार 392 वर्ग किलोमीटर में से 24 हजार 773 वर्ग किलोमीटर यानी 61 प्रतिशत क्षेत्र में भूजल का अत्यधिक दोहन हो रहा है।
किस ब्लॉक में स्थिति खराब
यमुनानगर के जगाधरी, रादौर, साढौरा, सरस्वती नगर, सिरसा जिला के ऐलनाबाद और रानियां ब्लॉक, रेवाड़ी जिले के खोल, पानीपत के बापौली एवं समालखा ब्लॉक, पलवल जिले के हथीन, हसनपुर और होडल ब्लॉक, महेंद्रगढ़ जिले के महेंद्रगढ़, अटेली, नांगल चौधरी, नारनौल, अटेली नागल, कुरुक्षेत्र जिला के लाडवा, पिहोवा, शाहाबाद ब्लॉक शामिल हैं। करनाल का करनाल ब्लॉक, कैथल के राजौंद, गुहला, गुरुग्राम जिले के गुड़गांव, सोहना, फारूख नगर, पटौदी ब्लॉक, फतेहाबाद के टोहाना, फरीदाबाद के फरीदाबाद और बल्लभगढ़ ब्लॉक, चरखी दादरी जिला के बाढड़ा ब्लॉक एवं भिवानी जिले के लोहारू, तोशाम, बहाल एवं केरू ब्लॉक शामिल हैं।
अटल योजना से हो सकता है बचाव
हरियाणा सिंचाई विभाग द्वारा प्रदेश भर में जिन ब्लॉकों की स्थिति खराब है वहां विशेष अभियान चला कर लोगों को जागरूक किया जा रहा है। सिंचाई विभाग के सुपरिंटेंडिंग इंजीनियर आरएस मित्तल ने बताया कि इस अभियान के तहत जहां हर गांव में नुक्कड़ सभा एवं अन्य कार्यक्रम किया जा रहे हैं, वहीं अलग-अलग ब्लॉकों में पॉंड बनाकर वर्षा का पानी इकट्ठा किया जाता है ताकि भूमिगत जल स्रोत ऊपर आ सके। उन्होंने बताया कि धान की फसल के लिए पानी की बहुत अधिक खपत रहती है। इसलिए किसानों को विभाग सलाह दे रहा है कि धान की बिजाई के अलावा अन्य फसल लगाए, इसके लिए बाकायदा कृषि विभाग किसानों को सब्सिडी भी प्रदान करता है। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा रेन गेज भी गांव-गांव में लगाए गए हैं । इसके अलावा ट्यूबवैल से कितना पानी निकल रहा है उसके लिए भी मीटर लगाए गए हैं ताकि किसानों एवं ग्रामीणों को इस बारे जानकारी हो सके और वह पानी का काम से कम इस्तेमाल करें।
सरकार कर रही है गंभीरता से प्रयास :कंवरपाल
हरियाणा के कृषि मंत्री कंवरपाल गुर्जर का कहना है कि यह आने वाले समय के लिए एक भी गंभीर चुनौती है। उन्होंने कहा कि जहां भूमिगत जल स्रोत नीचे गया है वहां के किसानों से अपील की गई थी कि वहां धान की फसल न लगायें। किसानों ने इस अपील पर लगभग 1 एकड़ में धान की फसल की बजाय अन्य फसलें लगायी, जिन पर उन्हें 7000 पर प्रति एकड़ के हिसाब से राशि दी गई। उन्होंने कहा कि अमृत सरोवर योजना के तहत तालाबों की सफाई करवाई जा रही है। इसके अलावा अटल भूजल योजना चलाई जा रही है। आने वाली स्थिति से निपटने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है। उन्हें उम्मीद है कि इसमें सरकार को सफलता मिलेगी।