शिमला, 24 जून (हप्र)
साेलहवें वित्त आयोग ने राजनीतिक दलों द्वारा आम जनता से किए जा रहे वादों, खासकर चुनाव में ‘मुफ्त रेवड़ियां’ बांटने पर चिंता जताई है। आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया ने आज शिमला में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि राजनीतिक दलों में मतदान पूर्व फ्रीबीज बांटने की होड़ लगी हुई है जो चिंता का विषय है।
आयोग अपनी सिफारिशों में इस मुद्दे पर सुझाव देगा तथा इसे हल करने का भी प्रयास करेगा। उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों में चुनाव पूर्व फ्रीबीज बांटने का प्रचलन लगातार बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि आयोग हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्य को हरित आवरण उपलब्ध कराने के एवज में मुआवजे से संबंधित मुद्दों पर भी विचार करेगा। हिमाचल प्रदेश सरकार के साथ बैठकों के लंबे दौर के बाद शिमला में मीडियाकर्मियों से बातचीत करते हुए पनगढ़िया ने कहा कि बैठकों में हिमाचल की अपेक्षाओं और जरूरतों पर चर्चा की गई।
इस दौरान अधिकारियों द्वारा 90 स्लाइडों की एक विस्तृत प्रस्तुति दी गई, जिसमें इस बात पर जोर दिया गया कि हिमाचल प्रदेश में कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के कारण हर चीज की कीमत कई गुना अधिक है और हिमाचल को सहायता का निर्धारण करते वक्त इस हकीकत को ध्यान में रखा जाना चाहिए।
पनगढ़िया ने कहा कि आयोग ने अपने देशव्यापी दौरे की शुरुआत हिमाचल से की है और आयोग को अगले साल अक्तूबर तक केंद्र सरकार को अपनी शिफारिशें देनी हैं। उन्होंने कहा कि आयोग सहायता के मापदंडों को तय करने से पहले अन्य राज्यों का दौरा करेगा और दौरे के निष्कर्ष के आधार पर सिफारिशें देगा।
अरविंद पनगढ़िया ने कहा कि वित्त आयोग ओल्ड पेंशन स्कीम के मुद्दे पर भी विचार करेगा और इस संबंध में अपनी सिफारिश केंद्र सरकार को देगा।
उन्होंने माना कि ओल्ड पेंशन की बहाली से राज्यों पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा। ऐसे में आयोग इस मुद्दे पर अपनी सिफारिशों में हल ढूंढने का प्रयास करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि हिमाचल को आपदा के मामले में मदद के लिए पैमाना अलग नहीं हो सकता।
अरविंद पनगढ़िया ने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा दी गई प्रस्तुति में कहा गया की 15वें वित्त आयोग ने हिमाचल की समस्याओं पर पूरी तरह ध्यान नहीं दिया और इस कारण प्रदेश को अपेक्षित केंद्रीय मदद नहीं मिल पाई। उन्होंने स्पष्ट किया कि हर वित्त आयोग का अपना एक नजरिया होता है और किसी भी वित्त आयोग की मदद का मापदंड दूसरे वित्त आयोग की तर्ज पर हो, ऐसा जरूरी नहीं है। उन्होंने कहा कि हिमाचल ने अपना पक्ष बेहतरीन ढंग से प्रस्तुत किया है।
सुक्खू ने मांगी उदार वित्तीय सहायता
हिमाचल प्रदेश सरकार ने आज शिमला में 16वें वित्त आयोग से जुड़ी प्रदेश की वित्तीय आवश्यकताओं तथा अन्य मुद्दों पर वित्त आयोग के प्रतिनिधिमंडल के समक्ष विस्तृत प्रस्तुति दी। यह प्रतिनिधिमंडल प्रदेश के तीन दिवसीय प्रवास पर है, जो आगामी पांच वर्षों के लिए हिमाचल के संबंध में अपनी सिफारिश देगा। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने वित्त आयोग के समक्ष राज्य के हितों से जुड़े मुद्दों को उठाया तथा राष्ट्र निर्माण में प्रदेश के योगदान को देखते हुए उदार वित्तीय सहायता प्रदान करने की सिफारिश का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि हिमाचल को कर्ज के भुगतान के लिए कर्ज लेना पड़ रहा है। यही नहीं राज्य को कर्ज के ब्याज के भुगतान के लिए भी कर्ज लेना पड़ रहा है जो राज्य की खस्ताहाल वित्तीय स्थिति को दर्शाता है। उन्होंने आयोग को बताया कि पिछले वर्ष बरसात में भारी बारिश एवं बाढ़ से हुए नुकसान के एवज में केंद्र सरकार ने 9,042 करोड़ रुपये का भुगतान अब तक नहीं किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश हिमालयी क्षेत्र में हरित आवरण को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। इसके कारण राज्य को हजारों करोड़ का राजस्व नुकसान उठाना पड़ रहा है और प्रदेश को अब तक इस नुकसान के लिए भी मुआवजा नहीं मिला है। इससे पूर्व, 16वें वित्तायोग के अध्यक्ष डॉ. अरविन्द पनगढ़िया ने अपने संवाद में राज्य की उपलब्धियों विशेषकर शिक्षा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में किए जा रहे अथक प्रयासों की सराहना की। उप-मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री, कृषि मंत्री प्रो. चन्द्र कुमार, उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान, शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरूद्ध सिंह, लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह, नगर नियोजन मंत्री राजेश धर्माणी तथा आयुष मंत्री यादविंद्र गोमा ने भी इस अवसर पर अपने विचार साझा किए।