जगाधरी, 24 जून (निस)
डेंगू, मलेरिया आदि बुखार से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग ने कमर कस ली है।
पहले जहां खाली प्लॉटों में जमा पानी में काला तेल डाला जाता था, वहीं इस बार काले तेल व मिट्टी के गोले बनाकर पानी में डाले जाएंगे। विभाग ने यह कार्य शुरू करवा दिया है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का मानना है कि ऐसा करने से काला तेल सारे पानी में मिल जाएगा।
जिससे मच्छर का लारवा नहीं पनप पाएगा। डेंगू व मलेरिया से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है। वार्डों में मच्छरों को कंट्रोल करने के लिए जहां फॉगिंग की जाएगी वहीं इस बार खाली प्लाटों में जमा पानी में मच्छरों को कंट्रोल करने के लिए अपनी योजना में थोड़ा बदलाव किया है।
इलाके में काफी प्लॉट ऐसे हैं जिनमें सालभर पानी जमा रहता है। ऐसे ही कई नाले भी हैं जो कचरे व गंदे पानी से लबालब रहते हैं। इस पानी में मक्खी-मच्छर पनपते रहते हैं।
प्लॉटों में जमा पानी में मच्छर व लारवा न पनपे इसके लिए जिला मलेरिया विभाग की तरफ से प्लाटों में काला तेल डाला
जाता है।
507 तालाबों में छोड़ी गंबूजिया मछली : डीएमओ
स्वास्थ्य विभाग की डीएमओ (जिला मलेरिया अधिकारी ) डॉ. सुशीला सैनी ने बताया कि गत वर्ष जिले में डेंगू के 735 और मलेरिया का केवल एक केस मिला था। डेंगू मच्छर फैलने का सबसे बड़ा कारण इसके फैलाने वाले मच्छर का लारवा है। डेंगू मच्छर का लारवा ठहरे हुए व साफ पानी में पनपता है। यहां तक की तालाबों के पानी में भी इस मच्छर का लारवा आसानी से पनप जाता है। इसके लिए मलेरिया विभाग की तरफ से जिले के 507 तालाबों में गंबूजिया मछली छोड़ी गई है। यह मछली तालाब में मच्छर के अंडों से तैयार होने वाले लारवा को खा जाती है। जिसके बाद इन अंडों से डेंगू, मलेरिया को फैलाने वाले मच्छर पैदा नहीं होते।