जालंधर/ संगरूर, 25 जून (ट्रिन्यू/ निस)
लोकसभा चुनावों में करारी हार के बाद अकाली दल में बगावत तेज हो गयी है। पार्टी के करीब 60 बड़े नेताओं ने सुखबीर सिंह बादल के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए मांग उठाई है कि वह अध्यक्ष पद छोड़ें। मंगलवार को सुखबीर बादल ने जहां चंडीगढ़ में बैठक की, वहीं बीबी जागीर कौर, प्रेम सिंह चंदूमाजरा, सिकंदर सिंह मलूका, परमिंदर सिंह ढींडसा समेत कई दिग्गजों ने जालंधर में अलग मंथन किया। बागी गुट की बैठक के बाद बीबी जागीर कौर ने कहा कि पार्टी के सभी कार्यकर्ता मांग कर रहे हैं कि सुखबीर बादल को अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना चाहिए।
बैठक में जुटे नेताओं ने कहा कि उन सभी ने फैसला किया है कि वे खुद अध्यक्ष पद की दौड़ में शामिल नहीं होंगे। पार्टी का नेतृत्व करने और इसे संकट से निकालने के लिए पंथक चेहरे की तलाश का प्रयास करेंगे। शिअद के शीर्ष पद के लिए जिन सिख प्रचारकों के नामाें पर चर्चा हुई, उनमें तख्त दमदमा साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह और रामपुर खेड़ा के बाबा सेवा सिंह का नाम शामिल है। बैठक के बाद चंदूमाजरा ने सदस्यों द्वारा पारित कुछ प्रस्तावों की जानकारी साझा की। सदस्यों ने ऐलान किया कि अकाल तख्त साहिब से शिअद बचाओ लहर शुरू की जाएगी। उन्होंने यह भी घोषणा की कि पार्टी के नये अध्यक्ष के नाम को अंतिम रूप देने के लिए बुद्धिजीवियों की भागीदारी के साथ 15-21 सदस्यीय समिति बनाई जाएगी। सदस्यों ने कहा, ‘सुखबीर बादल त्याग की भावना दिखाकर इस्तीफा दें या न दें, नया अध्यक्ष एक-दो सप्ताह में बन जाएगा।’ ढींडसा ने कहा, ‘हम 13 लोकसभा सीटों में से केवल एक ही जीत सके और 10 निर्वाचन क्षेत्रों में हमारी जमानत जब्त हो गई।’
निराश राजनेता महाराष्ट्र से सबक लें : सुखबीर
चंडीगढ़ में सुखबीर बादल ने पार्टी नेताओं से कहा कि वह शिअद को पंथ विरोधी मंसूबों की कठपुतली नहीं बनने दे सकते। एक विज्ञप्ति में उन्होंने कहा, ‘मैंने चुनाव से पहले कोर कमेटी को स्पष्ट कर दिया था कि मैं पंथ, किसानों और वंचित वर्गों को धोखा देकर भाजपा के साथ गैर-सैद्धांतिक गठबंधन नहीं कर सकता। मैं ‘निराश राजनेताओं’ से महाराष्ट्र से सीखने का आग्रह करता हूं, जहां भाजपा ने क्षेत्रीय पार्टी को तोड़ दिया और लोगों ने नकली को नकार दिया।’