करनाल, 2 जुलाई (हप्र)
5 जुलाई तक प्राइवेट अस्पताल संचालक आयुष्मान कार्ड धारक मरीजों का इलाज नहीं करेंगे, जिससे मरीजों की मुसीबतें बढ़ गई हैं, क्योंकि जो इलाज आयुष्मान कार्ड धारक मरीजों को चाहिए, उस बीमारी के इलाज की सुविधा सरकारी अस्पतालों में नहीं हैं। इसके चलते मरीजों को मजबूर होकर प्राइवेट अस्पतालों में जाना पड़ता है।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन करनाल के प्रधान डॉ. रोहित ने बताया कि सरकार के समक्ष प्राइवेट अस्पताल के डॉक्टरों ने मांगें रखी थीं, जिन्हें अब तक पूरा नहीं किया। करीब एक साल से सरकार ने 18 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया है, जबकि डॉक्टरों ने आयुष्मान कार्ड पर मरीजों का इलाज कर दिया है। इसके अलावा भी कई मांगे हैं, जिनके प्रति सरकार गंभीर नहीं लग रही। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार से मांग है कि सरकार हमारी मांगों को पूरा करें तो हम सभी प्राइवेट अस्पतालों के डॉक्टर इलाज शुरू कर देंगे।
हैरानी की बात ये है कि सरकार और प्राइवेट डॉक्टरों के आपसी टकराव का खमियाजा आयुष्मान कार्डधारक मरीज भुगत रहे हैं। इलाज की तुरंत जरूरत है, लेकिन इलाज नहीं मिल पा रहा। प्राइवेट अस्पताल में जाकर इलाज करवाने जाते हैं तो आयुष्मान कार्ड पर फिलहाल सुविधा नहीं होने की बात करते हैं। जेब में इतने पैसे नहीं कि इलाज करवा सकें। मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों द्वारा सरकार की योजना का लाभ न देने के चलते जो परेशानी हो रही है, इसके बारे में सरकार को पहले पता था, लेकिन उसे समय रहते दूर नहीं किया। इस तरह सरकार और प्राइवेट अस्पताल के डॉक्टरों ने आयुष्मान कार्डधारक मरीजों को अपने हाल पर छोड़ दिया है।
मरीजों ने कहा कि सरकार को इस बारे में तुरंत फैसला लेना चाहिए, जिससे मरीजों के इलाज में कोई बाधा ही उत्पन्न न हो सके।