सुदर्शन गासो
डॉ. घमंडीलाल अग्रवाल हिन्दी साहित्य जगत में प्रतिष्ठित व प्रामाणिक लेखक के रूप में जाने जाते हैं। इन्होंने हिन्दी साहित्य को अपनी 151 कृतियों से समृद्ध किया है। इनके लेखन का दायरा गीत, नवगीत, ग़ज़ल, दोहा, मुक्तक, लघुकथा, व्यंग्य, बाल-साहित्य तक फैला है।
पुस्तक ‘गीत विहग आए हैं’ डॉ. घमंडीलाल अग्रवाल का ताजातरीन गीत संग्रह है। इसमें बावन (52) गीत हैं जिनमें प्रेम के विभिन्न रंगों का खूबसूरत प्रस्तुतीकरण हुआ है।
कवि अपने जीवन व जीवन की समस्याओं को साधने का मंत्र अपने आराध्य-भाव प्रेम में ही देखता है। प्रेम में आस्था इस कदर है कि प्रत्येक समस्या का हल प्रेम में ही देखते हैं। प्रेम से लबालब भरे गीत और पंक्तियां पाठक के मन में घर कर जाती हैं। पाठक उनको गुनगुनाने को बेबस हो जाता है :-
मन के झूले में तुम झूलो, ग़म अपना बिसरा दो, छिपी प्रेम में कितनी ताकत दुनिया को दिखला दो।
कवि के अनुसार, दुनिया में कड़वाहट दूर करने का आधार भी प्रेम ही होता है। प्रेम में लीन कवि प्रेम से हौसला और साहस भी प्राप्त कर लेता है।
जिस दिन से तुम को पाया है, कदमों में झुक गया हिमालय/ घबराकर भागा सारा भय, घूमा करता हूं मैं निर्भय।
कवि के अनुसार प्रेम मरुस्थल में भी फूल खिला देता है, प्रेम तो पत्थरों के हृदय को भी पिघला देता है। वह पूरे संसार को सुखी और खुश देखना चाहता है। कवि के प्रेम का रंग इश्क हकीकी ही दिखाई देता है। कवि रूह से प्यार करता है :-
प्यार में तन का नहीं मिलना जरूरी/ प्यार में मन का मिलन ही खास होता।
इस संग्रह के सभी गीत सरल और सहज भाव से लिखे गए हैं। कवि अपनी ‘प्रेमिका’ के पैरों में दुनिया की तमाम खुशियां लाकर रखने की चाहत को अपना हासिल समझता है। आज के दौर में इस तरह के गीत संग्रह प्रासंगिक हैं।
पुस्तक : गीत विहग आए हैं कवि : डॉ. घमंडीलाल अग्रवाल प्रकाशक : श्वेतांशु प्रकाशन, नयी दिल्ली पृष्ठ : 122 मूल्य : रु. 275.