चंडीगढ़, 6 जुलाई (ट्रिन्यू)
हरियाणा सरकार ने राज्य के 11 प्राचीन स्मारकों को संरक्षित घोषित किया है। इन स्मारकों को बचाए रखने के लिए इसके अंतर्गत के पंद्रह मीटर के दायरे में खनन और निर्माण कार्यों पर पूरी तरह से पाबंदी रहेगी। इतना ही नहीं, 30 मीटर से दूर के एरिया में भी निर्माण के लिए पहले परमिशन लेनी होगी। विरासत एवं पर्यटन विभाग की प्रधान सचिव कला रामचंद्रन की ओर से इस संदर्भ में आदेश जारी किए हैं।
पलवल के गढ़ी पट्टी गांव स्थित प्राचीन स्थल काची खेड़ा के अलावा नूंह के पल्ला गांव में शेख मुस्सा की दरगाह तथा झूलती मीनार को संरक्षित घोषित किया है। इसी तरह गुरुग्राम के सोहना की लाल गुबंद, सोहना की ही कुतुब खान की मस्जिद, होडल में सती का तालाब तथा छतरी, जींद के धरौंद खेड़ा गांव के प्राचीन स्थल और जींद के ही जफरगढ़ गांव स्थित किला जफरगढ़ को सरंक्षित धरोहर घोषित किया है।
विभाग ने फतेहाबाद के भट्टू गांव स्थित प्राचीन टीला कर्ण कोट, भिवानी में लोहारू का किला, फरीदाबाद के बल्लभगढ़ स्थित रानी की छतरी एवं तालाब तथा हिसार के मुगलपुरा गांव स्थित प्राचीन टीला मुगलपुरा को संरक्षित धरोहर माना है। इन सभी 11 प्राचीन और ऐतिहासिक स्मारकों के आसपास 15 मीटर के दायरे में खनन व निर्माण पर हर तरह की रोक लगा दी है। सरकार ने संरक्षित इमारतों के पंद्रह मीटर के दायरे में खनन और निर्माण पर पाबंदी लगाई है।
इतना ही नहीं, 30 मीटर को विनियमित क्षेत्र घोषित किया है। इसके तहत संबंधित स्थान पर भवन बनाने के लिए विनियमित क्षेत्र कार्यालय से भवन का नक्शा पास कराना होगा। अन्यथा भवन को अवैध घोषित कर दिया जाएगा। जिन जिलों में यह ऐतिहासिक स्थल चिह्नित किए हैं, उन जिलों के उपायुक्तों को भी इस संबंध में निर्देश जारी करके कहा हैं कि वे इन स्थलों की समय-समय पर निगरानी करें। यहां खनन अथवा निर्माण करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करके रिपोर्ट मुख्यालय को भेजें।
हो रहा था अवैध खनन
दरअसल, सरकार को ऐतिहासिक इमारतों के आसपास अवैध खनन की सूचनाएं मिल रही थी। इसी के चलते इन इमारतों के रखरखाव तथा प्राचीन धरोहर के अस्तित्व को लेकर संकट पैदा हो रहा था। 11 संरक्षित क्षेत्रों को लेकर विभाग ने आमजन से दो महीने में आपत्तियां और सुझाव मांगे थे। अब इन्हें संरक्षित क्षेत्र घोषित करते हुए अधिसूचना जारी कर दी है।