दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 7 जुलाई
हरियाणा में सत्ताधारी भाजपा ने विधानसभा चुनाव की तैयारियां तेज कर दी हैं। सरकार के स्तर पर जहां कई फैसले लिए जा रहे हैं। वहीं संगठन को भी मजबूत बनाने की कवायद जारी है। प्रत्याशियों का चयन पार्टी ने अभी से शुरू कर दिया है। सभी नब्बे हलकों में संभावित प्रत्याशियों को लेकर सर्वे करवाया जा रहा है। पार्टी के मौजूदा के अलावा 2019 में विधानसभा चुनाव लड़ चुके नेताओं में से कइयों के टिकट पर इस बार तलवार लटकी है।
लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद नेताओं की टिकट कटने की संभावना और भी बढ़ गई है। इससे पहले 2019 के विधानसभा चुनावों में भी भाजपा ने कई दिग्गज नेताओं के टिकट काट दिए थे। भाजपा द्वारा करवाए जा रहे सर्वे में उन नेताओं के नाम पर विचार किया जा रहा है जो टिकट के प्रबल दावेदार हैं। इतना ही नहीं, पार्टी दूसरे दलों से आने वाले संभावित नेताओं के नामों पर भी गंभीरता से मंथन कर रही है। 2019 के विधानसभा चुनावों में कई हलकों में टिकट भी गलत दिए गए थे। पार्टी नेताओं के अनुसार इस बार भाजपा यह गलती नहीं दोहराएगी। सूत्रों का कहना है कि प्रदेश यूनिट के अलावा हाईकमान और संघ के स्तर पर भी सर्वे करवाया जा रहा है। इतना ही नहीं, सीएमओ में राजनीतिक पदों पर कार्यरत लोगों को भी फील्ड में भेजा जा रहा है। वे पार्टी नेताओं व कार्यकर्ताओं के साथ बैठकें करके संभावित प्रत्याशियों के बारे में फीडबैक जुटा रहे हैं। सीएम नायब सिंह सैनी के अलावा पूर्व सीएम व केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल भी अंदरखाने चुनावों को लेकर रणनीति बनाने में जुटे हैं।
भाजपा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि पार्टी सभी नब्बे हलकों के संभावित प्रत्याशियों का पैनल बनाने में जुटी है। नीतिगत तौर पर पार्टी यह फैसला पहले ही कर चुकी है कि इस बार चुनावों में पुरानों की बजाय नये चेहरों को मौका मिलेगा। ऐसे में कई मौजूदा विधायकों के अलावा 2019 में चुनाव लड़ चुके नेताओं की टिकट पर तलवार लटकी है। सूत्रों का कहना है कि मौजूदा 41 विधायकों में से 20 से अधिक विधायकों के टिकट कट सकते हैं।
पिछले चुनावों में भी भाजपा ने एक दर्जन से अधिक विधायकों के टिकट काट दिए थे। इनमें मंत्री भी शामिल थे। उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री रहे विपुल गोयल का फरीदाबाद, पीडब्ल्यूडी मंत्री रहे राव नरबीर सिंह का बादशाहपुर, डिप्टी स्पीकर रहीं संतोष यादव का अटेली व मनोहर पार्ट-। में राज्य मंत्री रहे विक्रम ठेकेदार का कोसली से टिकट काटा गया। इसी तरह 2014 में मुलाना विधायक रही संतोष सारवान, रेवाड़ी विधायक रणधीर कापड़ीवास, गुरुग्राम विधायक उमेश अग्रवाल तथा पटौदी विधायक बिमला चौधरी का टिकट कटा था।
पार्टी से अधिक व्यक्तिगत नाराजगी
भाजपा द्वारा अभी तक जुटाए गए फीडबैक में यह बात सामने आई है कि राज्य में पार्टी के प्रति कम बल्कि व्यक्तिगत नाराजगी अधिक है। शायद, यही कारण हैं कि इस बार पहले से अधिक नेताओं के टिकट कट सकते हैं। पार्टी की इस अांतरिक सियासत के बारे में टिकट के दावेदार नेताओं को भनक भी लग चुकी है। ऐसे में उनकी टेंशन बढ़ी हुई है। सबसे अधिक टेंशन में मौजूदा विधायक नजर आ रहे हैं। व्यक्तिग नाराजगी की वजह से ही इस बार भाजपा को लोकसभा चुनाव में भी नुकसान हो चुका है।
2014 में चला था सिटिंग-गैटिंग का फार्मूला
2009 के विधानभा चुनावों में भाजपा केवल चार ही सीटों पर चुनाव जीती थी। अंबाला कैंट से अनिल विज, तिगांव से कृष्णपाल गुर्जर, सोनीपत से कविता जैन और भिवानी से घनश्याम दास सर्राफ विधायक बने थे। 2014 के लोकसभा चुनावों में राज्य की 10 में से 7 सीटों पर जीत हासिल करने के बाद भाजपा ने विधानसभा के चुनाव अपने बूते लड़े। लोकसभा चुनाव में विधायक रहते हुए कृष्णपाल गुर्जर ने फरीदाबाद से लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की। भाजपा ने इन चुनावों में सिटिंग-गैटिंग का फार्मूला लागू किया और तीनों मौजूदा विधायकों को टिकट दिया गया। चुनाव में तीनों जीत हासिल करने में भी कामयाब रहे और तीनों को मनोहर सरकार के पहले कार्यकाल में मंत्री भी बनाया गया।