पानीपत, 9 जुलाई (हप्र)
पानीपत जिला की सीमा में मानसून की बारिश का पानी यमुना नदी में सोमवार को प्रवेश कर गया था और पानीपत व यूपी बॉर्डर स्थित यमुना पुल के पास सोमवार शाम को यमुना में करीब 55 हजार क्यूसेक पानी बह रहा था लेकिन मंगलवार को यमुना मे कुछ पानी कम हुआ है।
यमुना के पानी ने पानीपत के सबसे पहले पडने वाले गांव राणा माजरा के पास तटबंध के अंदर खेतों में मिट्टी का कटाव शुरू कर दिया था, इससे राणा माजरा के ग्रामीण, किसान चिंतित हैं। यमुना के पानी द्वारा खेतों में किये जा रहे मिट्टी के कटाव का निरीक्षण करने के लिये मंगलवार को एसडीएम समालखा अमित कुमार, बापौली के नायब तहसीलदार कैलाश चंद्र व कानूनगो नरेश कुमार गांव राणा माजरा के खेतों में
पहुंचे और वहां पर सिंचाई विभाग के अधिकारियों द्वारा किये जा रहे बाढ बचाओ प्रबंधन की जानकारी ली गई।
एसडीएम को विभाग के एसडीओ व जेई ने बताया कि गांव राणा माजरा में पत्थरों की करीब ढाई करोड की लागत से चार नई ठोकरें लगनी थीं, लेकिन ठेकेदार के पास करीब 6 डंपर ही पत्थर आये और फिर पत्थरों की कमी हो गई। इसके चलते विभाग द्वारा अब गांव राणा माजरा में 11 स्थानों पर मिट्टी के कट्टों के अस्थायी स्टड लगाये गये हैं ताकि यमुना का पानी मिट्टी का कटाव करके तटबंध की तरफ न आ सके। एसडीएम ने कहा कि पत्थरों वाला मामला डीसी साहब के संज्ञान में लाकर ठेकेदार को नोटिस दिया जाएगा। जबकि सिंचाई विभाग के अधिकारियों का दावा है कि बाढ़ बचाओ प्रबंध के सभी इंतजाम पूरे हैं और यमुना के आसपास के गांवों के ग्रामीणों को किसी भी तरह से भयभीत होने की जरूरत नहीं है।
जिन स्थानों पर पत्थरों की ठोकरें लगानी थीं और कमी के चलते पत्थर नहीं आ पाया तो अब वहां पर मिट्टी के कट्टों के स्टड लगाये जा रहे हैं। मंगलवार को मजदूरों की संख्या और ज्यादा बढ़ाई गई है और मिट्टी के कट्टों के स्टड लगाने का काम युद्ध स्तर पर जारी है।
ग्रामीण बोले, ज्यादा पानी आने पर यमुना तटबंध को खतरा
गांव राणा माजरा के राशिद, सलीम, गयूर, हाजी इस्लाम, इरफान व इस्लाम आदि ने कहा कि यमुना में अभी तो करीब 55-60 हजार क्यूसेक ही पानी आया है और इसी पानी से खेतों में मिट्टी का कटाव शुरू हो गया है। जब यमुना में कई लाख क्यूसेक पानी आयेगा तो फिर क्या होगा। ग्रामीणों को आशंका है कि यमुना में निरंतर कई लाख क्यूसेक पानी बहेगा तो तटबंध को खतरा हो सकता है। सिंचाई विभाग ने पत्थरों की ठोकरों को क्यों नहीं लगाया और विभाग के अधिकारी अब चुनाव आचार संहिता व पत्थरों की कमी का बहाना बना रहे है। मिट्टी के कट्टों का स्टड लगाना कोई ठोस समाधान नहीं है।