जीत सिंह सैनी/निस
गुहला चीका, 9 जुलाई
सड़कों के मामले में गुहला की जनता की किस्मत खराब साबित हुई है। इस क्षेत्र की जो सड़क एक बार टूट जाती है, वह वर्षों तक नहीं बनाई जाती और जो बनाई जाती हैं, वे निम्न स्तर की होती हैं।
कई बार तो टूटी सड़कों का निर्माण करवाने के लिए लोगों को धरने, प्रदर्शन तक करने पड़ते हैं। ऐसा ही मामला पिछले साल जुलाई माह में आई बाढ़ से टूटी सड़कों का है।
गत वर्ष जुलाई माह में घग्गर नदी का रिंग बांध टूटने से गुहला क्षेत्र में आई बाढ़ से कई सड़कों का नुकसान हुआ था। इनमें चीका पटियाला रोड पर पड़ने वाले कमेहड़ी मोड़ से लेकर गांव सुगुलपुर मोड़ तक लगभग साढ़े तेरह किलो मीटर की सड़क व गुहला से लेकर गांव भाटियां तक लगभग 8 किलोमीटर की सड़कें हैं, जो बाढ़ में पूरी तरह से बह गई थीं। पिछले एक साल से सड़कों की ऐसी हालत है कि इन पर वाहन चलना तो दूर पैदल गुजरना भी मुश्किल है।
गांव गगड़पुर के नौनिहाल सिंह, हरप्रीत सिंह, काला राम, दरबारा बोपुर, प्यारा सिंह ने बताया कि घग्गर पार के एक दर्जन गांव बाढ़ से प्रभावित रहते हैं। पिछले साल आई बाढ़ से गांव कमेहड़ी, बोपुर, गगड़पुर, सुगुलपुर, कसौली, अरनौली, सिहाली, छन्ना जटान, चंडीगढ़ प्लाट आदि गांवों को जोड़ने वाली सड़क पूरी तरह से पानी में बह गई थी, जो बार-बार मांग करने के बावजूद बनाई नहीं गई।
उधर, स्यूं माजरा निवासी गुरनाम सिंह, विक्रम सिंह, मनदीप सिंह खंगुड़ा ने बताया कि गुहला से भाटियां तक की लगभग 8 किलोमीटर लंबी सड़क भी बाढ़ में बह गई थी।
यह सड़क गुहला को पंजाब के साथ जोड़ती है। इस सड़क के बह जाने से आधा दर्जन गांवों के लोगों को दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं। इन लोगों ने बताया कि पिछले एक साल से ग्रामीणों को अपने गांव तक पहुंचने के लिए इन्हीं टूटी-फूटी सड़कों से होकर गुजरना पड़ता है। ग्रामीणों ने बताया कि बार-बार मांग करने के बावजूद विभाग एक साल में सडक़ों का निर्माण नहीं करवा पाया है।
”गत वर्ष बाढ़ में टूटी सड़कें कमेहड़ी से सुगुलपुर व गुहला से भाटियां तक के निर्माण की प्रशासकीय मंजूरी आ गई है। ये सड़कें बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में आती हैं, जिसके चलते इनके निर्माण के दौरान बाढ़ के पानी की निकासी के लिए रैंप में बदलाव किया जाना था, जिसके चलते सड़क की मंजूरी मिलने में कुछ देर हुई है। अब इन सड़कों की मंजूरी आ गई है और जल्द ही टेंडर प्रक्रिया पूरी कर निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा। ”
-राममेहर शर्मा, एसडीओ, पीडब्ल्यूडी विभाग, चीका