जसमेर मलिक/हप्र
जींद, 9 जुलाई
प्रदेश के पशुपालन विभाग में 310 नये पशु चिकित्सकों की नियुक्ति के बावजूद पशु चिकित्सकों के 190 पद खाली रह जाएंगे। यही नहीं, प्रदेश के पशुपालन विभाग में एसडीओ के 90 में से 55 पद खाली हैं। पशुपालन विभाग के उपनिदेशक के 40 प्रतिशत से ज्यादा पद खाली हैं। देश में पशुधन के मामले में सबसे समृद्ध राज्यों में हरियाणा की गिनती होती है।
विश्व प्रसिद्ध मुर्रा नस्ल की भैंस का सबसे बड़ा केंद्र हरियाणा है। जबकि प्रदेश में जींद, हिसार तथा भिवानी जिले पशुधन से सबसे अधिक समृद्ध हैं। प्रदेश सरकार किसानों को खेती के साथ-साथ पशुपालन के प्रति आकर्षित करने के लिए कई तरह की योजनाएं चला रही है।
बात जब प्रदेश के पशुधन के लिए चिकित्सा सेवाओं की आती है, तो हरियाणा में पशु चिकित्सकों के 1150 पद स्वीकृत हैं।
फिलहाल 650 वेटरनरी डॉक्टर तैनात हैं। सरकार ने हाल ही में 310 नये वेटरनरी डॉक्टर्स की भर्ती की है, जो इस समय प्रशिक्षण ले रहे हैं। जब ये कार्यभार संभाल लेंगे, तब भी 190 पद खाली रह जाएंगे।
नतीजा यह है कि 3000 पशुओं पर एक पशु चिकित्सक का नॉर्म पूरा नहीं होता। कई जगह एक-एक वेटरनरी को 20 से 25000 पशुओं को सेवाएं देनी पड़ती है।
लंबित हैं मांगें
पशु चिकित्सकों की अनेक मांगें भी लंबित हरियाणा स्टेट वेटरनरी एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष डॉ जगबीर ढांडा के अनुसार पशु चिकित्सकों के तमाम खाली पद भरे जाने चाहिएं। एसडीओ के खाली पड़े पदों पर पशु चिकित्सकों की पदोन्नति की जाए। उप-निदेशक के खाली पदों को भी तुरंत भरा जाए, ताकि विभाग का काम सुचारू रूप से चल सके।
इसके अलावा पशु चिकित्सकों की एसीपी का रेगुलराइजेशन नहीं हो रहा है। चार-पांच साल से पशु चिकित्सकों को एसीपी का लाभ नहीं मिला है। यह लाभ तुरंत प्रभाव से दिया जाए। इस समय प्रथम एसीपी का लाभ सभी पशु चिकित्सकों को मिल रहा है, लेकिन दूसरी एसीपी का लाभ 25 प्रतिशत को और तीसरी एसीपी का लाभ केवल 20 प्रतिशत पशु चिकित्सकों को मिल रहा है, जबकि यह सभी को मिलना चाहिए। पशु चिकित्सकों का वेतनमान भी एमबीबीएस के बराबर होना चाहिए। इन मांगों को सरकार पूरा करती है तो पशु चिकित्सक और ज्यादा समर्पण के साथ पशुधन की चिकित्सा में लगेंगे।
एसडीओ के 90 में से 55 पद रिक्त
प्रदेश के पशुपालन विभाग में एसडीओ के 90 पद स्वीकृत हैं। स्थिति यह है कि इस समय केवल 35 एसडीओ ही काम कर रहे हैं। एसडीओ के 55 पद खाली पड़े हैं। प्रदेश में एसडीओ के आधे से ज्यादा पद खाली होने का भी पशु चिकित्सा पर बुरा असर पड़ रहा है। नियामनुसार हर जिले में पशुपालन विभाग का एक उप-निदेशक होना चाहिए। इस समय स्थिति यह है कि प्रदेश में पशुपालन विभाग के उप-निदेशक के लगभग 40 प्रतिशत पद खाली पड़े हैं। एक-एक उप-निदेशक पर कई-कई जिलों की जिम्मेदारी है। जींद के पशुपालन विभाग के उप-निदेशक डॉ रविंद्र हुड्डा के पास जींद, सोनीपत और हिसार का चार्ज है।