गुंजन कैहरबा/निस
इन्द्री, 11 जुलाई
अच्छी शिक्षा के सरकारी दावों के बावजूद यमुना नदी के बाढ़ग्रस्त क्षेत्र में इंद्री हलके के गांव सैयद छपरा में बच्चों के लिए शिक्षा का सफर मुश्किलों से भरा हुआ है। गांव के राजकीय माध्यमिक विद्यालय में कुल आठ कक्षाओं के 150 से अधिक विद्यार्थी चार कमरों में पढ़ने के लिए मजबूर हैं। स्कूल में पुस्तकालय, विज्ञान, भाषा, पाठ्य सहगामी गतिविधियों और सभा के लिए अलग कमरों की तो बात ही छोड़ दीजिए, मुख्याध्यापक के कार्यालय के लिए एक अदद कमरा तक नहीं है।
बाढ़ क्षेत्र में कमरे नीचे होने के कारण बरसात में कमरों में पानी आ जाता है। गुस्साये ग्रामीणों का आरोप है कि पिछड़े और दूरवर्ती क्षेत्र में आने वाले उनके गांव में सरकार स्कूलों को जरूरी सुविधाएं देने में नाकाम रही है। स्कूल की प्राथमिक विंग के चार कमरे नीचे हैं। उनमें बाढ़ का पानी घुस जाता है। इन दिनों कमरों की स्थिति नाजुक है। इनमें एक कमरा आंगनवाड़ी के लिए प्रयोग में लाया जा रहा है। एक कमरे को रसोई बनाया गया है। दो कमरों में पांच कक्षाएं लगती हैं। अध्यापकों का कहना है कि कायदे से हर कक्षा के लिए अलग कक्ष होना चाहिए। इस हिसाब से प्राथमिक विंग को ही कईं कमरों की जरूरत है।
कक्षा में ही कार्यालय : यहां छठी, सातवीं और आठवीं कक्षाएं भी दो कमरों में चलाई जा रही हैं। नियमानुसार मिडल स्कूल में पुस्तकालय, विज्ञान प्रयोगशाला, भाषा प्रयोगशाला, पाठ्य सहगामी गतिविधियों के लिए भी अलग-अलग कमरों की जरूरत होती है। सभागार भी होना चाहिए। यहां के मुख्याध्यापक सुनीत कुमार ने बताया कि स्कूल में उनके लिए एक कार्यालय भी नहीं है। जहां कक्षा चलती है, वहीं कार्यालय भी है।
क्या कहते हैं मुख्याध्यापक
मुख्याध्यापक सुनीत कुमार ने बताया कि स्कूल में दो-तीन साल पहले विभाग द्वारा ग्रांट भेजी गई थी। लेकिन तत्कालीन मुखिया द्वारा उसका प्रयोग नहीं किया गया। हाल ही में उनके स्कूल में एक कमरे का निर्माण किया जा रहा है। बाकी स्कूल में सुचारु रूप से कक्षाएं चलाने के लिए कई कमरों की जरूरत है। अधिकारियों को अवगत कराया जा चुका है।
क्या कहते हैं बीईओ
बीईओ डॉ. गुरनाम सिंह मंढ़ाण का कहना है कि कुछ स्कूलों में कमरों की डिमांड विभाग को भेजी गई है। इसमें सैयद छपरा स्कूल शामिल नहीं है। यहां के मुख्याध्यापक द्वारा डिमांड उनके संज्ञान में नहीं है।
अब तक बन जाना चाहिए था वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल
सामाजिक कार्यकर्ता शमीम अब्बास, मोहम्मद रज़ा और रज़ा अब्बास का कहना है कि यमुना के बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र में आने के कारण उनके गांव को स्कूल में सुविधाएं प्रदान करने में तरजीह मिलनी चाहिए थी। लेकिन सरकार ने उपेक्षा की। बच्चों की संख्या और प्राथमिकता के हिसाब से इसे वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल बना देना चाहिए था। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। खस्ताहाल स्कूल से ज्यादातर अभिभावक बच्चों को निकाल रहे हैं।