देश में ऐसे अनेक पर्यटन स्थल हैं। जहां की हरियाली तन और मन को ताजगी से भर देती है। लेकिन इस प्राकृतिक सौंदर्य को लग्ज़री होटलों में कैद होकर नहीं निहारा जा सकता। इसके लिए वहां के लोगों के बीच जाना होता है। जिससे हमें वहां की बोलचाल, उस स्थान की विशेषता, वहां का इतिहास और स्थानीय खान-पान के बारे में ज्यादा जानकारी और अनुभव प्राप्त होते हैं। इसके लिए आज एक बेहतरीन विकल्प बड़ी तेजी से लोकप्रिय हो रहा है ‘होम स्टे’। अलका ‘सोनी’
रोजमर्रा की रूटीन लाइफ से जब तन-मन थक जाता है। दिमाग बोझिल लगने लगता है, तब मन करता है कि कहीं दूर घूमकर आया जाए। जहां शहरों की प्रदूषित हवा की जगह ठंडी हवाओं के झोंके मन को सहलाएं। पक्षियों की चहचहाहट कानों में मिठास घोले। थकान और ऊब कोसों दूर हो जाए और यह सब हमें प्रकृति की गोद में ही मिल सकता है।
भारत में ऐसे अनेक पर्यटन स्थल हैं। जहां की हरियाली तन और मन को ताजगी से भर देती है। हममें एक नई ऊर्जा का संचार करती है। लेकिन इस प्राकृतिक सौंदर्य को लग्ज़री होटलों में कैद होकर नहीं निहारा जा सकता। इसके लिए वहां के लोगों के बीच जाना होता है। जिससे हमें वहां की बोलचाल, उस स्थान की विशेषता, वहां का इतिहास और स्थानीय खान-पान के बारे में ज्यादा जानकारी और अनुभव प्राप्त होते हैं। तभी तो पर्यटन का असली आनंद आता है। लेकिन यह तभी संभव है जब वहां रुकने की समुचित व्यवस्था हो। इसके लिए आज एक बेहतरीन विकल्प बड़ी तेजी से लोकप्रिय हो रहा है ‘होम स्टे’।
यह पर्यटन का अनोखा अनुभव है जो हमें वहां की लोकेलिटी को करीब से देखने में मदद करता है। वह भी होटलों की कृत्रिमता के बगैर। ‘होमस्टे’ मुख्यतः अतिथि देवो भवः की धारणा पर काम करता है। जहां लोग अपने घर के एक हिस्से को पर्यटकों के रुकने के लिए सुविधापूर्ण रूप से तैयार करते हैं। जहां वे बिना किसी शंका के रुकते हैं और पर्यटन का आनंद लेते हैं। साथ ही उन्हें घर पर बना भोजन भी मिलता है।
‘सुनाखारी’ होम स्टे
पिछले दो सालों से दार्जिलिंग के डाली में रोशन थापा ‘सुनाखारी’ नामक होम स्टे चला रहे हैं। उन्होंने अपने घर के ऊपरी हिस्से को जिसमें तीन कमरे, कॉमन डाइनिंग एरिया और किचन है, होम स्टे के लिए दिया है। जहां वे टूरिस्ट को होम मेड भोजन प्रोवाइड करते हैं। इसके साथ ही टीवी, वाईफाई की सुविधा प्रदान करते हैं।
होमस्टे कई मायनों में खास और बेहतर चुनाव होता है। भारत में ऐसे कई लोग हैं जो अपने घरों का प्रयोग मेहमानों को ठहराने के लिए करते हैं। एक पर्यटक की यही अभिलाषा रहती है कि वो जिस भी जगह जा रहा है वह वहां की संस्कृति, खान-पान एवं रीति-रिवाजों को भी जान सके।
यांगसम फार्म
पश्चिम सिक्किम में पारंपरिक शैली से बना एक घर है, जो यांगसम फार्म गंगटोक से लगभग चार घंटे की ड्राइव पर स्थित है। सौ साल पुराने इस घर के आस-पास बेहद खूबसूरत प्राकृतिक दृश्यों का आनंद लिया जा सकता है। जहां टूरिस्ट खेत के जैविक फलों और सब्जियों से बने स्थानीय व्यंजनों का आनंद ले सकते है। आप यहां रोडोडेंड्रॉन की घाटी में बैठने का आनंद ले सकते हैं। आस-पास के मठों से सुनाई देने वाले मंत्रों को महसूस कर सकते हैं। जो पहाड़ों की दीवारों में गूंजते हैं और कानों को शांत करते हैं। यहां से इस क्षेत्र के ग्रामीण जीवन के वास्तविक सुंदरता को देख सकते हैं। जब मेजबान, सिक्किम की पुरानी और दिलचस्प कहानियां बताते हैं तो आपको बरबस ही अपने बचपन में सोने के समय की कहानियों की याद आ जाती है।
नेलपुरा
नेलपुरा, आलप्पुझा, कुटानाद में केरल के बैकवाटर के शांत किनारे पर स्थित एक होम स्टे है। एक सीरियाई ईसाई परिवार द्वारा बनाया गया है। यह होमस्टे लगभग 150 साल पुराने केरल के पारंपरिक परंपरा का ग्रैनरी हाउस है। अकादमिक होने के दौरान, यहां पारिवारिक खेत, नारियल के पेड़ और कुछ एकड़ धान के खेत स्थित है। नक्काशीदार लकड़ी वाला घर, एक टाइल वाली छत, जो पगोडा जैसी दिखती है और चारों ओर एक बरामदा है, जिसमें मेहमानों के तीन कमरे हैं, जिनमें से दो वातानुकूलित हैं। यहां से नाव की सवारी या बैकवाटर यात्रा पर जा सकते हैं। जहां शहर की चकाचौंध से विपरीत शांति का अहसास होगा। शांति की प्राप्ति के लिए आप पुलिन्कोनू में सेंट मैरी फॉरेन चर्च में भी जा सकते हैं।
भारत में इन दिनों होम स्टे की डिमांड तेजी से बढ़ी है। यहां तक कि कई विदेशी पर्यटक भी बड़े-बड़े होटलों को छोड़कर होम स्टे में ही रहना पसंद कर रहे हैं। इसके पीछे मुख्य कारण यह है कि विदेशी पर्यटक भारत की संस्कृति का बहुत सम्मान करते हैं और इसे बहुत अच्छे से समझना चाहते हैं।
होम स्टे खोलने के लिए तैयारी
यदि आप किसी टूरिस्ट प्लेस पर रहते हैं तो आप भी आसानी से होम स्टे खोल सकते हैंैं। इसके लिए पर्यटन विभाग के कार्यालय पर जाकर एक फॉर्म लेना पड़ता है। उसमें आपको ये बताना पड़ता है कि आप कितने रूम का होम स्टे खोलने जा रहे हैं।
फैमिली अनिवार्य
होम स्टे में एक फैमिली का रहना अनिवार्य है। फॉर्म भरकर जब आप जमा कर देते हैं तब पर्यटन विभाग की एक टीम द्वारा उस घर का निरीक्षण किया जाता है, जिसे आप होम स्टे बनाना चाहते हैं। अधिकारी उस घर में देखते हैं कि अगर कोई फैमिली नहीं रह रही है तो उसको होम स्टे का लाइसेंस नहीं दिया जा सकता।
आसान प्रक्रिया
भारत सरकार ने होम स्टे खोलने की प्रक्रिया अब काफी आसान कर दी है। पहले जहां एक से तीन रूम के होम स्टे हुआ करते थे, वही अब इसकी संख्या बढ़ाकर 6 कर दी गई है। किसी भी होम स्टे को चलाने के लिए किसी भी प्रकार के बिजली के कमर्शियल मीटर की जरूरत नहीं पड़ती है। इसके अलावा किसी भी प्रकार का अलग से कोई टैक्स नहीं लिया जाता है।
जरूरी प्रमोशन
होम स्टे खोलने के बाद बारी आती है उसके प्रमोशन की। प्रमोशन करना पहले के मुकाबले अब बहुत आसान हो गया है। आज की डिजिटल दुनिया में कोई भी ऐसी चीज नहीं जिसका प्रमोशन करने में असुविधा का सामना करना पड़े। किसी भी वेबसाइट द्वारा इसका प्रमोशन आसानी से किया जा सकता है। किसी ट्रैवल साइट से भी जुड़कर इसका प्रमोशन कर सकते हैं। होम स्टे के मालिक किसी ट्रैवल कंपनी से मिलकर भी प्रमोशन कर सकते हैं। सोशल साइट्स पर भी इसे प्रचारित कर सकते हैं।
दारांग टी स्टेट
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा घाटी की प्राकृतिक सुंदरताओं के बीच स्थित है 150 साल पुराना दारांग चाय एस्टेट। यह ब्रिटिश राज के दौरान एक भारतीय द्वारा लगाए गए पहले चाय एस्टेटों में से एक होने के लिए जाना जाता है। अब उसी परिवार की छोटी पीढ़ी वहां रहती है। जहां 70 एकड़ चाय बागान और अच्छी तरह से बनाए और सजाए गए कॉटेज वहां की बर्फीली धौलाधर रेंज की खूबसूरती को और सुंदर बना देते हैं। आप दरांग गांव के माध्यम से घूमने का आनंद लें सकते हैं। जितना आप बीर और बिलिंग के लिए दिनभर यात्रा करेंगे। उतना ही आनन्द आएगा। ताजा चाय की चुस्कियों के साथ खेती को देखना और शानदार दृश्यों का आनंद लेना आपको एक अनुपम अहसास प्रदान करेगा।
कुफ्लोन बेसिक्स
उत्तराखंड के गढ़वाल में हिमालय के पहाड़ी क्षेत्र में स्थित कुफलॉन बेसिक्स एक खूबसूरत होम स्टे है। मेहमानों की मेजबानी के लिए यहां दो हस्तशिल्प झोपड़ियां हैं जो पहाड़ों का अद्भुत नजारा प्रस्तुत करती हैं। पहाड़ों में स्थापित फ़िल्टर के माध्यम से पवित्र गंगा से आने वाले पानी को पीने का अनुभव भी ले सकते हैं। समुद्र तल से 5000 फीट की दूरी पर स्थित गांव डोडीताल, गंगोत्री और यमुनोत्री के झीलों के लिए ट्रेकिंग के लिए भी यह मशहूर है। चिलचिलाती गर्मी से राहत पाने को यहां आना एक सुंदर विकल्प है।
नन्दन फार्म
नंदन फार्म महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग क्षेत्र में स्थित है। जिसके आस पास बारह एकड़ के अनानास, नारियल और काजू के पेड़ फैले हुए हैं। जो हरियाली प्रदान करते हैं। अम्मु और आशीष पदगांवकर कपल टूरिस्टों को असली भारत की छवि प्रदान करने में विश्वास करते हैं। बीस मील के भीतर अंबोली, सह्याद्री पहाड़ियों के छोटे पहाड़ी स्टेशन और वेंगुर्ला बीच भी स्थित है। सावंतवाडी स्टेशन से आप गोवा के उत्तरी हिस्सों में केवल तीस मिनट में पहुंच सकते हैं। यहां की मालवीनी शैली में तला हुआ मैकेरल और चिकन करी टूरिस्टों को आकर्षित करती है।