अदिति टंडन/ट्रिन्यू
नयी दिल्ली, 12 जुलाई
प्रतिष्ठित सेवाओं में प्रवेश पाने के लिए कथित तौर पर दिव्यांगता और जाति प्रमाणपत्र के फर्जीवाड़े के कारण विवादों में घिरी ट्रेनी आईएएस अफसर पूजा खेडकर को बर्खास्त किया जा सकता है।
सरकारी सूत्रों ने बताया कि उनके दावों की जांच के लिए गठित समिति ने शुक्रवार को मामले की जांच शुरू कर दी है और उनके दावों का पता लगाने के लिए एम्स, नई दिल्ली और राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के विशेषज्ञों को भी शामिल किया जाएगा।
32 वर्षीय पूजा ने 2022 में आयोजित यूपीएससी परीक्षा में अखिल भारतीय रैंक 841 हासिल की है। वह अन्य पिछड़ा वर्ग और बेंचमार्क दिव्यांगता श्रेणियों के तहत आईएएस में शामिल हुई हैं। पूजा ने खुद को गैर-क्रीमी ओबीसी वर्ग से घोषित किया है और दृश्य और मानसिक विकलांगता का दावा किया है।
सरकारी सूत्रों ने कहा कि आरोप साबित होने पर पूजा खेडकर को सेवा से हटाया जा सकता है। यह भी पता चला है कि शिवसेना और भाजपा के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार ने पूजा खेडकर के मामले को गंभीरता से लेने के लिए केंद्र से अपील की थी, जिसके बाद पीएमओ और कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने संज्ञान लिया और अतिरिक्त सचिव मनोज द्विवेदी के नेतृत्व में एक जांच पैनल का गठन किया। सरकारी सूत्रों ने कहा कि केवल एम्स नयी दिल्ली का प्रमाणपत्र ही उन मामलों में आधिकारिक रूप से मान्य है, जहां सिविल सेवा के उम्मीदवार विकलांगता का दावा करते हैं। खेडकर एम्स पैनल के समक्ष उपस्थित नहीं हुई थीं। हालांकि, यूपीएससी ने उनके चयन को केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण में चुनौती दी थी, जिसने उनके खिलाफ फैसला सुनाया था, फिर भी वह सेवाओं में शामिल हो गईं।
सूत्रों ने कहा कि उनके माता-पिता की वार्षिक आय, जैसा कि अब पता चला है, 8 लाख रुपये से अधिक है, जो गैर क्रीमी लेयर ओबीसी के लिए कट ऑफ है।