जिस्म झुलसाती गर्मी के बाद जिस मानसून के स्वागत मेंे लोग पलक-पांवड़े बिछाए बैठे थे, उसके आने के बाद देश के विभिन्न भागों में बाढ़, भूस्खलन व जलभराव से सामान्य जीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। विभिन्न राज्यों में कई नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। भारत ही नहीं, पड़ोसी देश नेपाल में भूस्खलन के बाद दो बसें उफनती नदी में गिर गई, जिससे साठ लोगों के लापता होने की आशंका है। उत्तर प्रदेश में शुक्रवार को आठ सौ गांव बाढ़ से प्रभावित बताए गए, जिसमें करीब चालीस लाख लोगों पर इसका असर पड़ा है। कई गांवों में घर से काम पर निकलने के लिये लोगों ने नावों का इस्तेमाल किया। दिल्ली-लखनऊ हाईवे पर तीन फीट से अधिक पानी खड़ा था। जिसके कारण हाईवे का एक हिस्सा बंद कर दिया गया है। वाहनों को वैकल्पिक मार्गों से निकाला जा रहा है। पीलीभीत के एक डैम का पानी छोड़े जाने से दर्जनों गांव जलमग्न हो गए। गांवों में चार से पांच फीट तक पानी भर जाने के कारण लोग सुरक्षित स्थानों पर शरण लेने को मजबूर हो गए हैं। लोगों का कहना है कि ऐसी बाढ़ डेढ़ दशक बाद देखी गई है। कई स्थानों पर राप्ती नदी खतरे के निशान को पार कर बह रही है, जिससे कई गांवों पर बाढ़ का संकट मंडरा रहा है। लाखों हेक्टेयर में खड़ी फसल जलमग्न हो गई है। कई जगह कटाव के कारण जल भराव देखा गया है। नेपाल से लगते उत्तर प्रदेश के सात जिलों में भी बाढ़ जैसे हालात हैं। यहां एनडीआरएफ व एसडीआरएफ की टीमें राहत व बचाव में लगी हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हवाई सर्वेक्षण से बाढ़ का जायजा लिया है। देश की वाणिज्य राजधानी मुंबई में भी मूसलाधार बारिश से सामान्य जनजीवन बुरी तरह बाधित रहा। जहां एक ओर सड़कें जलमग्न रही, रेल की पटरियों में पानी भर गया तो हवाई यात्रा भी बाधित हुई। कई एअरलाइन्स को एडवाइजरी जारी करनी पड़ी कि हवाई जहाजों को उड़ान भरने में देरी हो सकती है।
वहीं दूसरी ओर उत्तराखंड में बारिश कहर बनकर बरस रही है। पिछले पांच दिन से लगातार जारी बारिश के कारण हुए भूस्खलन से करीब दो सौ से अधिक सड़कें बंद हो गई हैं। सबसे चिंताजनक हालात चारधाम मार्ग पर हैं। करीब दो दर्जन स्थानों पर हुए भारी भूस्खलन से चारधाम यात्रा मार्ग पिछले तीन दिन से बंद है। जिसके चलते करीब चार हजार श्रद्धालु बीच में ही फंसे हुए हैं। बद्रीनाथ रूट पर भूस्खलन के कारण दोनों तरफ लंबा जाम लगा है। सड़कों के किनारे गाड़ियों की लंबी कतारें देखी जा रही हैं। कई गहरे निचले इलाकों में जलभराव के कारण यातायात ठप हो गया है। हालांकि बद्रीनाथ मार्ग पर प्रशासन सड़कों से मलबा हटाने में जुटा है लेकिन बारिश के कारण राहत कार्य में बाधा उत्पन्न हो रही है। यही वजह है कि अधिकांश श्रद्धालु जोशीमठ के आसपास फंसे हुए हैं। उधर भारतीय मौसम विभाग ने मुंबई के लिये यलो अलर्ट जारी किया है। यानी दिन भर बारिश होने की बात कही जा रही है। तो ठाणे व नवी मुंबई के लिये ओरेंज अलर्ट जारी किया गया है। वहीं निचले इलाकों में जलभराव से जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो रहा है। दूसरी ओर मौसम विभाग ने देश के सत्रह राज्यों में भारी बारिश का अंदेशा जताया है। इन राज्यों में हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड व जम्मू-कश्मीर भी शामिल हैं। समुद्र तट से लगने वाले कुछ राज्यों में बिजली गिरने व तूफान की चेतावनी मौसम विभाग ने दी है। कुछ इलाकों में मछुआरों को समुद्र तटीय इलाकों में न जाने की सलाह दी गई है। वहीं बारिश के सकारात्मक पक्ष की बात यह कि करीब डेढ़ सौ जलाशयों की निगरानी करने वाले सेंटर वॉटर कमीशन ने घोषणा की है कि जलाशयों का जलस्तर पिछले दस महीनों में पहली बार बढ़ा है। लेकिन एक बात तो साफ है कि शासन-प्रशासन समय रहते न तो अतिवृष्टि के प्रभावों को कम करने के ठोस कदम उठाता है और न ही इस चुनौती सेे मुकाबले के लिये लोगों को जागरूक करता है।