नयी दिल्ली, 13 जुलाई (एजेंसी)
केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल की शक्तियां बढ़ा दी हैं। उपराज्यपाल को पुलिस, आईएएस और आईपीएस जैसी अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों से संबंधित निर्णय लेने तथा विभिन्न मामलों में अभियोजन की मंजूरी देने के लिए ज्यादा शक्तियां दी गयी हैं। उपराज्यपाल भ्रष्टाचार रोधी ब्यूरो से संबंधित मामलों के अलावा महाधिवक्ता और अन्य कानून अधिकारियों की नियुक्ति का निर्णय ले सकते हैं।
गृह मंत्रालय की एक अधिसूचना के अनुसार, ‘पुलिस, लोक व्यवस्था, अखिल भारतीय सेवा और भ्रष्टाचार रोधी ब्यूरो के संबंध में वित्त विभाग की पूर्व सहमति की आवश्यकता वाले किसी भी प्रस्ताव को तब तक स्वीकार या अस्वीकार नहीं किया जाएगा, जब तक कि इसे मुख्य सचिव के माध्यम से उपराज्यपाल के समक्ष नहीं रखा जाता है।’
अधिसूचना में यह भी कहा गया है कि अभियोजन मंजूरी प्रदान करने या अपील दायर करने के संबंध में कोई भी प्रस्ताव विधि, न्याय और संसदीय कार्य विभाग द्वारा मुख्य सचिव के माध्यम से उपराज्यपाल के समक्ष रखा जाएगा। कारागार, अभियोजन निदेशालय और फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला से संबंधित मामले उपराज्यपाल के समक्ष प्रस्तुत किए जाएंगे। सचिवों का पदस्थापन और स्थानांतरण तथा अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों के पदों से संबंधित मामलों के संबंध में प्रस्ताव भी उपराज्यपाल को प्रस्तुत किए जाएंगे।
नेकां, पीडीपी, कांग्रेस ने किया विरोध
श्रीनगर (एजेंसी) : जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक दलों ने उपराज्यपाल को अधिक शक्तियां देने के केंद्र के कदम का कड़ा विरोध जताया। नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोग एक शक्तिहीन, रबर स्टाम्प मुख्यमंत्री से बेहतर के हकदार हैं, जिसे एक चपरासी की नियुक्ति के लिए उपराज्यपाल से विनती करनी पड़ेगी। पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती की बेटी और उनकी मीडिया सलाहकार इल्तिजा मुफ्ती ने कहा, ‘यह आदेश जम्मू-कश्मीर की अगली राज्य सरकार की शक्तियों को कम करने का प्रयास है।’ जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विकार रसूल वानी ने कहा, ‘राज्य का दर्जा बहाल होने से पहले ही जम्मू-कश्मीर में स्पष्ट रूप से लोकतंत्र की हत्या होती दिखाई दे रही है।