चंडीगढ़, 13 जुलाई (ट्रिन्यू)
सिरसा के थेड़ के विस्थापितों को स्थायी ठिकाना नहीं मिल पाया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने थेड़ को केंद्रीय संरक्षित स्मारक घोषित किया हुआ है। 85 एकड़ से अधिक में फैले थेड़ में बरसों से तीन हजार से अधिक परिवार रह रहे थे। इनमें से 750 परिवारों को पहले ही हटाया जा चुका है और बाकी के परिवारों को हटाने की कोशिश की जा रही है। जिन 750 परिवारों को थेड़ से हटाया गया, उन्हें हाउसिंग बोर्ड के फ्लैट्स में अस्थाई तौर पर रखा गया। इन परिवारों को बिजली-पानी व सीवरेज जैसी मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिल रही। अब हाउसिंग बोर्ड बार-बार इन परिवारों को फ्लैट खाली करने के नोटिस दे रहा है। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा भी विस्थापित परिवारों का स्थाई प्रबंध करने के आदेश राज्य सरकार को दिए हुए हैं। इसके बाद भी सरकार की ओर से कोई कदम नहीं उठाया जा रहा। पूर्व केंद्रीय मंत्री व सिरसा सांसद कुमारी सैलजा ने सीएम नायब सिंह सैनी के सामने यह मुद्दा उठाया है। सैलजा ने सीएम को पत्र लिखकर कहा है कि सरकार विस्थापित परिवारों को बसाने का प्रबंध करे। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार और प्रशासन ने थेड़ के विस्थापितों का जीवन नरक बना दिया है। सैलजा का कहना है कि थेड़ क्षेत्र में बरसों से तीन हजार परिवार रह रहे हैं। हाईकोर्ट में लंबित मुकदमों के कारण सिरसा प्रशासन ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के सहयोग से लगभग 31 एकड़ क्षेत्र में 750 से अधिक परिवारों को पहले ही हटाकर विस्थापित कर दिया। इनमें से 730 विस्थापित परिवारों को अस्थाई रूप से हाउसिंग बोर्ड के फ्लैटों में पुनर्वासित किया गया। इन्हें अब तक भी स्थायी ठिकाना नहीं मिल पाया है।