शिमला, 14 जुलाई (हप्र)
जीएसटी परिषद के फैसले के बावजूद हिमाचल के बागवानों को महंगा कार्टन खरीदना पड़ रहा है। परिषद ने कार्टन पर जीएसटी को 18 से घटा कर 12 फीसदी करने का फैसला लिया है, मगर हिमाचल में कार्टन पर अभी भी 12 फीसदी से अधिक जीएसटी वसूले जाने से बागवान परेशान हैं। बागवानों ने प्रदेश सरकार से इस मुद्दे को केंद्र से गंभीरता से उठाने की मांग की थी ताकि उन्हें हो रही परेशानी खत्म हो सके।
हिमाचल में इस साल लगभग 1.92 करोड़ कार्टन बॉक्स सेब की पैकिंग में इस्तेमाल होने हैं। जीएसटी परिषद ने 2022 में कार्टन पर जीएसटी को 18 फीसदी करने का फैसला लिया था। हिमाचल के साथ-साथ उत्तराखंड व जम्मू कश्मीर के बागवानों ने इसका विरोध किया। बागवानों की नाराजगी को देखते हुए प्रदेश की तत्कालीन जयराम सरकार ने एचपीएमसी व हिमफेड के माध्यम से खरीदे जाने वाले कार्टन पर 12 फीसदी जीएसटी ही वसूले का निर्णय लेकर इसे लागू किया। हालांकि बीते साल हिमाचल में सत्ता परिवर्तन के बाद बागवानों ने 18 प्रतिशत जीएसटी पर ही कार्टन खरीदा क्योंकि मौजूदा सुक्खू सरकार ने पूर्व भाजपा सरकार की रिवायत को जारी नहीं रखा। इस साल सेब सीजन शुरू होने से पहले दिल्ली में बीते जून माह में जीएसटी परिषद की बैठक हुई। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई बैठक में कार्टन पर जीएसटी 12 फीसदी करने का फैसला लिया गया। उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने जीएसटी परिषद की बैठक के बाद यह जानकारी दी। मगर फैसले के बावजूद अभी भी कार्टन पर 12 फीसदी से अधिक जीएसटी वसूला जा रहा है।
कार्टन पर जीएसटी की दरों में 6 फीसदी कटौती का लाभ बागवानों को नहीं मिलने से किसान व बागवान संगठन खफा हैं। बाजार में बागवानों से कार्टन पर 18 फीसदी जीएसटी की वसूली हो रही है। प्रदेश सरकार ने इस साल से यूनिवर्सल कार्टन को अनिवार्य किया है। बागवानों को उम्मीद थी कि जीएसटी में कटौती के बाद यूनिवर्सल कार्टन की कीमत घट जाएगी लेकिन कुछ रिटेलर कार्टन पर अब भी 18 फीसदी जीएसटी वसूल रहे हैं। इसको लेकर बागवानों ने सरकार से शिकायत भी की है।
संयुक्त किसान मंच ने जतायी नाराजगी
संयुक्त किसान मंच ने कार्टन पर जीएसटी के एवज में हो रही मनमानी वसूली पर कड़ी नाराजगी जताई है। मंच के संयोजक संजय चौहान का कहना है कि प्रदेश के कई जिलों में रिटेलर कार्टन पर 18 फीसदी जीएसटी वसूल रहे हैं। कार्टन के 500 डिब्बे खरीदने वाले बागवान को 5400 रुपये जीएसटी चुकाना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि संयुक्त किसान मंच सभी कृषि लागत वस्तुओं पर जीएसटी खत्म करने की मांग उठाता रहा है और भविष्य में भी बागवानों के हित में यह मांग जोर-शोर से उठाई जाएगी।