शिमला, 16 जुलाई (हप्र)
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रदेश में राजनीतिक अस्थिरता पैदा करने की कोशिश के आरोपियों को दी गई अंतरिम अग्रिम जमानत की अवधि 2 अगस्त तक बढ़ा दी है। कोर्ट ने तीनों आरोपियों को पुलिस द्वारा मांगे गए मोबाइल फोन सौंपने के लिए भी 10 दिनों की मोहलत दी है। इन आरोपियों में गगरेट से विधायक चैतन्य शर्मा के पिता राकेश शर्मा, हमीरपुर से तत्कालीन निर्दलीय विधायक आशीष शर्मा और हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री के पब्लिसिटी एडवाइजर तरुण भंडारी शामिल है।
न्यायाधीश न्यायमूर्ति संदीप शर्मा के समक्ष तीनों आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर हुई सुनवाई के दौरान डीएसपी सिटी शिमला रिकॉर्ड सहित उपस्थित हुए। उन्होंने अंतरिम जमानत का विरोध करते हुए कहा कि आरोपियों से फोन जब्त किए जाने बाकी हैं और उन मोबाइल फोनों की जानकारी आरोपियों को दी जा चुकी है लेकिन आरोपियों की ओर से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। इस पर कोर्ट ने इन्हें 10 दिन का समय देते हुए जांच कार्य में सहयोग देने के आदेश दिए। याचिकाओं में दिए तथ्यों के अनुसार शिमला के बालूगंज पुलिस स्टेशन में कांग्रेस के बागी एवं गगरेट से पूर्व विधायक चैतन्य शर्मा के पिता राकेश शर्मा, हमीरपुर से तत्कालीन निर्दलीय विधायक व अब भाजपा विधायक आशीष शर्मा और हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री के पब्लिसिटी एडवाइजर तरुण भंडारी के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। तीनों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420,171 ए और 171 सी, 120 बी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 एवं 8 के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया है। एफआईआर में राकेश और आशीष शर्मा पर राज्यसभा चुनाव को गलत तरीके से प्रभावित करने का आरोप है। शिकायतकर्ताओं ने दोनों पर वोटों की खरीद-फरोख्त करने, रिश्वत एवं पैसों के लेन-देन के आरोप लगाए हैं। शिकायत में कहा गया है कि आरोपियों ने सरकार गिराने के लिए साजिश रची। जबकि तरुण भंडारी पर आरोप है कि उन्होंने हरियाणा की भाजपा सरकार के इशारे पर हिमाचल प्रदेश में राजनीतिक अस्थिरता पैदा करने की कोशिश की। हिमाचल प्रदेश में सरकार को अस्थिर करने के षड्यंत्र रचने के आरोप में तरुण भंडारी के विरुद्ध भी एफआइआर दर्ज की गई थी। राज्यसभा के चुनाव में क्रास वोटिंग के मामले में भी तरुण भंडारी का नाम सामने आया था। बालूगंज थाना पुलिस इस पूरे मामले की जांच कर रही है।