हरिद्वार, 17 जुलाई (एजेंसी)
छोटी कटेली का अर्क टीबी के इलाज में प्रभावी है। यह खुलासा हुआ है पतंजलि की ओर से किए गए एक अध्ययन में। इस अध्ययन का उद्देश्य टीबी के लिए एक आयुर्वेदिक उपचार विकसित करना था, जिसक वर्तमान में प्रचलित टीबी की दवाइयों के साथ या अकेले भी इस्तेमाल किया जा सके। अध्ययन में छोटी कटेली के प्रभाव से टीबी बैक्टीरिया के विकास की दर में कमी पाई गई। उन्नत तकनीकों जैसे एसईएम और टीएलसी से पता चला कि एसवई के इलाज से बैक्टीरिया की संरचना बदल गई और उनकी कोशिकाओं की दीवार कमजोर हो गई। आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि पतंजलि के लिए यह अति हर्ष का विषय है कि अब इस अनुसंधान को सूक्ष्म जीवविज्ञान के विश्व प्रसिद्ध पीर-रिव्यूड जर्नल ‘फ्रंटियर्स इन माइक्रोबायोलॉजी’ में स्थान मिला है। यह शोध टीबी पर भविष्य के अध्ययनों के लिए नींव का काम करेगा, जिससे जनमानस को टीबी से बचाव के लिए नवीन संभावनाएं मिलेंगी। उन्होंने कहा कि इस ऐतिहासिक अनुसंधान को मूर्तरूप देने में पतंजलि गौरवान्वित अनुभव कर रहा है। तपेदिक यानी टीबी हमारे फेफड़ो पर असर डालती है। टीबी एक संक्रामक बीमारी है, जो संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने और थूकने से फैलती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, वर्ष 2022 में इस बीमारी से दुनियाभर में लगभग एक करोड़ से अधिक लोग प्रभावित थे। यह बीमारी दुनिया के लगभग सभी देशो में फैली हुई है और भारत में भी वर्ष 1962 से ही इसकी रोकथाम के लिए सरकारी योजना चल रही हैं।