शिमला, 17 जुलाई (हप्र)
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित पीएचडी (शारीरिक शिक्षा) प्रवेश परीक्षा को रद्द करने के फैसले को सही ठहराया है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने न्यायाधीश न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की एकल पीठ के फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि विश्वविद्यालय ने परीक्षा आयोजित करने में नियमों का पालन न करके बड़ी अवैधता बरती। प्रार्थी बिंदु वर्मा सहित पांच अभ्यर्थियों ने एकल पीठ के 26 जून के फैसले को खंडपीठ के समक्ष अपील के माध्यम से चुनौती दी थी। मामले के अनुसार विश्वविद्यालय ने अन्य विभागों सहित शारीरिक शिक्षा विभाग में पीएचडी की 6 सीटों के लिए प्रवेश हेतु 12 मार्च को आवेदन आमंत्रित किए। 13 मई को प्रवेश परीक्षा आयोजित की गई और 27 मई को परिणाम घोषित किया गया। अक्षय कुमार सहित 10 प्रार्थियों का आरोप था कि यूजीसी नियम के तहत पीएचडी की प्रवेश परीक्षा में 50 प्रतिशत प्रश्न अनुसंधान पद्धति और 50 प्रतिशत प्रश्न विषय-विशिष्ट के होने थे। लेकिन विश्वविद्यालय ने 80 प्रश्नों में से मात्र 10 प्रश्न ही रिसर्च मैथ्डोलॉजी के पूछे जबकि इनकी संख्या 40 होनी चाहिए थी। प्रार्थियों का नाम सूची में नहीं आया। मजबूरन उन्हें कोर्ट में आना पड़ा। एकल पीठ ने मामले का निपटारा करते हुए कहा था कि नियमों में कोई विरोधाभास नहीं है बल्कि एचपीयू के नियमों में प्रश्नों से जुड़े सिलेबस की बात ही नहीं है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया था कि विश्वविद्यालय यूजीसी द्वारा निर्धारित नियमों पर अमल करने के लिए बाध्य है।