भिवानी, 17 जुलाई (हप्र)
हरियाणा में जल संकट को समाप्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए अधिवक्ता जितेंद्र नाथ ने सुप्रीम कोर्ट में एक नई जनहित याचिका दाखिल करने जा रहे हैं। इस याचिका में हरियाणा के किसानों और निवासियों के लिए हिमाचल प्रदेश के रास्ते पानी लाने की योजना को न्यायिक समर्थन दिलाने का प्रयास किया जा रहा है। यह जानकारी एसवाईएल हिमाचल मार्ग समिति के अध्यक्ष एडवोकेट जितेंद्र नाथ ने शुक्रवार को भिवानी में पत्रकार वार्ता के दौरान दी। उन्होंने कहा कि हरियाणा लंबे समय से जल संकट का सामना कर रहा है। प्रदेश के किसानों को 48 वर्षों से रावी और व्यास नदियों के पानी का इंतजार है, लेकिन पंजाब के रास्ते से इसे लाने के प्रयास असफल रहे हैं। 2002 में सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के हक में फैसला सुनाया था कि सतलुज यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर बनाई जाए, लेकिन 2016 में पंजाब सरकार ने प्रस्तावित नहर की जमीन किसानों को वापस लौटा दी, जिससे यह विकल्प बंद हो गया।
अधिवक्ता जितेंद्र नाथ ने 2017 में हिमाचल प्रदेश के रास्ते हरियाणा में पानी लाने का सुझाव दिया। 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने भी इस बात पर विचार करने को कहा कि यदि कोई वैकल्पिक रास्ता है तो उसे अपनाया जाए। हिमाचल के रास्ते से पानी लाने के प्रस्ताव में पंजाब की कोई जमीन शामिल नहीं है और यह सीधे तौर पर हिमाचल से हरियाणा को जोड़ता है। प्रस्तावित नहर नालागढ़, बद्दी, पिंजौर, बरवाला, अम्बाला कैंट से होते हुए जनसुई हेड तक पहुंचेगी, जहां से इसे एसवाईएल नहर से जोड़ा जाएगा। इस रास्ते की कुल लंबाई केवल 67 किलोमीटर है तथ इस पर लगभग 4200 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इसे बनेन में लगभग एक वर्ष का समय लगेगा तथा इस निर्माण के दौरान 12 से 13 किलोमीटर की सुरंग बनानी पड़ेगी। उन्होंने बताया कि आज हरियाणा के हिस्से का पानी पाकिस्तान को जा रहा है। जिससे हरियाणा की 35 लाख एकड़ जमीन को सिंचित किया जा सकता था।