सुभाष पौलस्त्य/निस
पिहोवा, 18 जुलाई
शिक्षा कैसे ग्रहण की जाती है, इसका तरीका बता रहा है पिहोवा के वार्ड नंबर सात गुग्गा माडी रोड स्थित राजकीय कन्या प्राथमिक पाठशाला का भवन। इस स्कूल की चारदिवारी के साथ ही गंदगी के ढेर लगे रहते हैं। क्षेत्र की सारी गंदगी इस स्कूल की दीवार के पास ही इकट्ठी की जाती है। इस गंदगी से उठती दुर्गंध व लगभग 20-25 साल पूर्व बना भवन उसमें पड़ी दरारें और नीचे दरारें पड़ा फर्श। यहां पर बैठकर मौत के साये में शिक्षा ग्रहण की जाती है।
स्कूल के बारे जानकारी देते हुए सोहनलाल, विनोद कुमार, मामचंद, गौरव कुमार सहित अनेक लोगों ने बताया कि स्कूल की दीवार के साथ ही गंदगी पड़ी रहती है। इस गंदगी से हर समय दुर्गंध उठती रहती है। इतना ही नहीं स्कूल का भवन भी लगभग 20-25 वर्ष पुराना है, जिसमें दरारें पड़ी हुई हैं। कमरे के भीतर इस कदर दरारें पड़ी हुई हैं कि न जाने छत कब गिर जाए। इतना ही नहीं स्कूल के भीतर का फर्श धंसकर नीचे बैठा हुआ है।
स्कूल भवन सड़क से गहराई में काफी नीचे है, जिस कारण बरसात के दिनों में सारा पानी स्कूल में खड़ा हो जाता है तथा स्कूल एक दरिया बन जाता है। यह सारा पानी नीचे फर्श से ही जमीन में चला जाता है। नीचे पानी जाने के कारण न जाने कब स्कूल की छत बरामदे को सहारा देने के लिए बनाए पिलर नीचे बैठ जाएं। गंदगी व स्कूल भवन के गिरने का भय बच्चों को स्कूल में आने ही नहीं देता। उन्होंने बताया कि आज से 4 वर्ष पूर्व इस स्कूल में 250 से 300 तक बच्चे पढ़ते थे। अब मात्र 40 के लगभग ही बच्चे इस स्कूल में आते हैं।
इस बारे जब स्कूल के प्रभारी कविता व शिक्षक राजेश से बात की तो उन्होंने बताया कि यहां पर इस वक्त केवल 43 बच्चे शिक्षा ग्रहण करने के लिए आते हैं। पहली से पांचवीं कक्षा तक का स्कूल होने के कारण यहां बच्चों की संख्या कम है। उन्होंने भी स्वीकार किया कि गन्दगी तथा गिरते भवन के कारण कोई भी अपने बच्चों को स्कूल में भेजना नहीं चाहता। इतना ही नहीं स्कूल में पांच कमरे हैं और उनमें एक आंगनबाड़ी भी है। उस आंगनबाड़ी में भी भय के कारण लोग अपने बच्चों को भेजना ही नहीं चाहते। स्कूल में शिक्षकों के दो पद हैं, परंतु अब एक और सरप्लस शिक्षक की नियुक्ति भी यहां हुई है। वर्तमान में तीन शिक्षक यहां काम कर रहे हैं।
आसपास के लोगों ने बताया कि स्कूल में पानी की टंकी भी टेढ़ी हो चुकी है, जो कभी भी गिर सकती है। वहीं, शौचालय भी खतरनाक स्थिति धारण किए हुए हैं। सबसे हैरानी की बात यह है के स्कूल में निरीक्षण के दौरान उच्च अधिकारी भी आते हैं, परंतु किसी ने भी इस स्कूल के भवन व गंदगी की ओर कोई ध्यान ही नहीं दिया।