सत्य प्रकाश/ट्रिन्यू
नयी दिल्ली, 19 जुलाई
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के कड़े प्रावधानों के तहत मुकदमे का सामना कर रहे आतंकवाद के आरोपी को जमानत पर रिहा किया जा सकता है, अगर मुकदमा धीमी गति से चलता है।
अप्रैल 2019 में, शीर्ष अदालत ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा उसके खिलाफ दायर आतंकवाद के वित्तपोषण के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा कश्मीरी जहूर अहमद शाह वटाली को दी गई जमानत को खारिज कर दिया था। जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने आरोपी शेख जावेद इकबाल उर्फ अशफाक अंसारी उर्फ जावेद अंसारी को रिहा करने का आदेश दिया, जिसे उत्तर प्रदेश पुलिस ने 23 फरवरी, 2015 को नेपाल में जाली भारतीय मुद्रा नोटों की आपूर्ति के अवैध व्यापार में कथित रूप से शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया था। बेंच ने 3 अप्रैल, 2023 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश को खारिज करते हुए कहा, ‘हमारा मानना है कि अपीलकर्ता को लगातार जेल में रखना उचित नहीं है।’ हालांकि, बेंच ने ट्रायल कोर्ट को इकबाल का पासपोर्ट, नागरिकता दस्तावेज़ जब्त करने और यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया कि वह ट्रायल कोर्ट के क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र से बाहर न जाए।