रमेश सरोए/हप्र
करनाल, 20 जुलाई
कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कॉलेज में न्यूरोसर्जन, गेस्ट्रोलिस्ट, यूरोलॉजी ओर कॉर्डियलॉजी में सुपर स्पेशियलिटी के 4 पद है, लेकिन उनकी सेवाएं नदारद हैं।
इन डॉक्टरों को प्राइवेट अस्पतालों में 5 गुना अधिक वेतन एवं सुविधाएं मिलती है, जिसके चलते सरकारी मेडिकल कॉलेज में सुपर स्पेशियलिस्ट डॉक्टर काम नहीं करना चाहते हैं। सुपर स्पेशियलिस्ट डॉक्टरों के अभाव में इस मेडिकल कॉलेज से 70 प्रतिशत मरीजों को रेफर किया जाता। जबकि ये मरीज ऐसे होते हैं, जिनका इलाज मेडिकल कॉलेज में किया जा सकता है, फिर भी इतनी बड़ी संख्या में मरीजों को रेफर कर दिया जाता है। इसके पीछे बड़ी वजह ये कि मेडिकल कॉलेज में सुपरस्पेशिलिटी डॉक्टरों के ऑपिनियन नहीं मिल पाता। मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर न चाहते हुए मरीजों को रैफर करने पर विवश हो जाते है। साढ़े 5 सौ करोड़ से बने कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कॉलेज में सुपर स्पेशिलिस्टी डॉक्टरों के पद होने के बाद एक भी डॉक्टर कार्यरत न होना परेशान करने वाला है। जिससे पेट, सिर, किडनी, हार्ट संबंधित बीमारियों से ग्रस्त मरीजों को इलाज के लिए भटकना पड़ रहा है।
वेतन कम, इसलिए डॉक्टर नहीं आते सरकारी सेवाओं में
सुपर स्पेशलिस्टी डॉक्टरों की पढ़ाई पूरा होने से पहले ही प्राइवेट अस्पताल सुपर स्पेशलिस्टी डॉक्टरों को अच्छा वेतन ओर अच्छा कमरे की व्यवस्था करने के पहले राजी कर लेते है। जिसको डॉक्टर मना नहीं कर पाता।
एक डॉक्टर ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि सुपर स्पेशलिस्टी डॉक्टर को शुरूआत में ही प्राइवेट अस्पताल वाले 5 लाख रुपए का वेतन देते हैं, जो मेडिकल कॉलेजों की ओर से मिलने वाले वेतन से 4 गुणा ज्यादा होता हैं। यही एक बड़ी वजह है कि डॉक्टर सरकारी सेवाओं में आने से कतराते हैं।
डॉक्टरों की कमी को पूरा करने का प्रयास
कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कॉलेज के डॉयरेक्टर डॉ एमके गर्ग ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में 4 सुपर स्पेशियलिस्ट डॉक्टरों के पद हैं, लेकिन एक भी कार्यरत नहीं है। डॉक्टरों की कमी को पूरा करने के लिए प्रयास किए जा रहे है। इस वक्त अस्पताल में करीब 2 हजार से अधिक ओपीडी चल रही हैं।