नयी दिल्ली, 21 जुलाई (एजेंसी)
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की कक्षा-6 की सामाजिक विज्ञान की नयी पाठ्यपुस्तक में हड़प्पा सभ्यता को ‘सिंधु-सरस्वती’ सभ्यता के रूप में संदर्भित किया गया है। नये पाठ्यक्रम के अनुसार विकसित पाठ्यपुस्तक में ‘भारतीय सभ्यता का प्रारंभ’ अध्याय में सरस्वती नदी का कई बार उल्लेख किया गया है। इसमें कहा गया है कि सरस्वती नदीघाटी में सभ्यता के प्रमुख शहरों- राखीगढ़ी और गणवेरीवाला के साथ-साथ छोटे शहर और कस्बे भी शामिल थे। इसके अनुसार, आज उक्त नदी को भारत में ‘घग्गर’ और पाकिस्तान में ‘हकरा’ के नाम से जाना जाता है तथा अब यह मौसमी नदी है।
अंबेडकर के अनुभव के संदर्भ में बदलाव
कक्षा-6 की सामाजिक विज्ञान की नयी पाठ्यपुस्तक में जो बदलाव किए गए हैं, उनमें जाति-आधारित भेदभाव का कोई उल्लेख नहीं किया गया है। इसके साथ ही भेदभाव के बारे में बीआर अंबेडकर के अनुभव के संदर्भ में बदलाव किया गया है।
‘ग्रीनविच से पहले भारत की थी अपनी मध्यरेखा’
नयी पाठ्यपुस्तक के अनुसार, ‘ग्रीनविच भूमध्य रेखा पहली प्रधान मध्यरेखा नहीं है। अतीत में अन्य भी थीं। वास्तव में, यूरोप से कई शताब्दियों पहले, भारत की अपनी एक प्रधान मध्यरेखा थी। यह उज्जयिनी (आज का उज्जैन) शहर से होकर गुजरती थी, जो कई शताब्दियों तक खगोल विज्ञान का एक प्रतिष्ठित केंद्र था।’ इसमें लिखा है कि प्रसिद्ध खगोलशास्त्री वराहमिहिर लगभग 1500 साल पहले यहीं रहते थे और काम करते थे। भारतीय खगोलशास्त्री अक्षांश और देशांतर की अवधारणाओं से अवगत थे, जिसमें शून्य या प्रधान मध्य रेखा की आवश्यकता भी शामिल थी। उज्जयिनी मध्य रेखा सभी भारतीय खगोल ग्रंथों में गणनाओं के लिए एक संदर्भ बन गई।